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SC on EBS: Electoral Bond Scheme को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर SC करेगा सुनवाई, 31 अक्टूबर की तारीख हुई तय

Supreme Court on Electoral Bond Scheme सुप्रीम कोर्ट पार्टियों की राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई करने वाला है। एससी यह सुनवाई मंगलवार 31 अक्टूबर का करेगी। दलीलों में बताया गया कि 2024 के आम चुनावों के लिए चुनावी बांड योजना शुरू होने से पहले मामले पर फैसले की जरूरत है।

By AgencyEdited By: Babli KumariPublished: Tue, 10 Oct 2023 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 10 Oct 2023 01:02 PM (IST)
चुनावी बांड योजना की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पार्टियों की राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए मंगलवार को 31 अक्टूबर की तारीख तय की। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर ध्यान दिया कि 2024 के आम चुनावों के लिए चुनावी बांड योजना शुरू होने से पहले मामले पर फैसले की जरूरत है।

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गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बांड के माध्यम से गुमनाम फंडिंग से भ्रष्टाचार बढ़ता है और भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र पाने के नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन होता है। उन्होंने आगे कहा यह अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और मामले में 'निर्णय न लेना' समस्या को बढ़ा रहा है।

पीठ ने कहा, ''हम यहां हैं और अभी इसकी सुनवाई कर रहे हैं।'' चुनावी बांड योजना पर कुछ प्रारंभिक प्रस्तुतियां सुनने के बाद, पीठ ने 31 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के लिए चार याचिकाएं रखीं और कहा कि यदि कार्यवाही आगे बढ़ती है तो वह 1 नवंबर को उन पर सुनवाई जारी रख सकते हैं।

राजनीतिक दलों को 12,000 करोड़ रुपये का किया गया भुगतान

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस पर विचार कर सकती है कि क्या पार्टियों की राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को "आधिकारिक फैसले" के लिए संवैधानिक पीठ को भेजा जा सकता है।

जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं में से एक ने मार्च में कहा था कि चुनावी बांड के माध्यम से अब तक राजनीतिक दलों को 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और दो-तिहाई राशि एक प्रमुख राजनीतिक दल को गई है।

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