'हिरासत में मौत पूरे सिस्टम पर धब्बा, अब और बर्दाश्त नहीं', केंद्र समेत कई राज्यों को SC की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों को सिस्टम पर धब्बा बताते हुए चिंता जताई। अदालत ने राजस्थान में हिरासत में हुई मौतों पर नाराजगी व्यक्त की और केंद्र से जवाब मांगा। कोर्ट ने निजी और खुली जेलों की संभावनाओं पर भी विचार किया, ताकि जेलों में भीड़ और हिंसा को कम किया जा सके।

हिरासत में मौत पर सुप्रीम का सख्त रुख।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुलिस हिरासत में होनेवाली हिंसा और मौतों को पूरे सिस्टम पर धब्बा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश अब इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
पुलिस थानों में कार्यशील सीसीटीवी की कमी के मामलों का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में पूर्व में जारी आदेश का संदर्भ दिया और कहा कि बीते आठ महीनों में राजस्थान में हिरासत में 11 मौतों के मामले चिंताजनक हैं। पीठ ने इस मामले में केंद्र की तरफ से शपथपत्र जमा न किए जाने पर भी सवाल उठाए।
'मामले को हल्के में क्यों ले रहा केंद्र?'
पीठ ने कहा कि केवल 11 राज्यों की तरफ से अनुपालन संबंधी शपथपत्र दिए गए हैं। पीठ ने मध्य प्रदेश राज्य की इस बात के लिए तारीफ की कि वहां हर थाने और आउटपोस्ट को जिले में स्थित कंट्रोल रूम के केंद्रीय वर्क स्टेशन से जोड़ दिया गया है। न्यायमूर्ति नाथ ने पूछा कि केंद्र इस मामले को बहुत हल्के में क्यों ले रहा है। इस पर मेहता ने तीन हफ्ते की मोहलत मांगी।
पीठ ने चेताया कि तीन हफ्ते बाद हर जगह से शपथपत्र नहीं मिला तो प्रमुख सचिव, गृह को अदालत में हाजिर होना पड़ेगा। केंद्रीय एजेंसियों के मामले में उनके निदेशक हाजिर होंगे।
प्राइवेट जेल और खुली जेल पर भी हुई बात
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अमेरिका में जेलों में पूछताछ के दौरान फुटेज की लाइवस्ट्रीमिंग की जाती है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अमेरिका में प्राइवेट जेल भी हैं, जहां रिजार्ट स्तरीय सुविधाएं दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि पीठ की तरफ से प्राइवेट जेल तैयार कराने के भी सुझाव आए हैं।
पीठ ने कहा था कि उद्योगपतियों को कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत प्राइवेट जेल तैयार कराने पर भी कुछ पैसे खर्च करने चाहिए। पीठ ने कहा कि खुली जेल से संबंधित मामला पहले से ही विचाराधीन है। इससे जेलों में जरूरत से ज्यादा भीड़ और हिंसा की लगातार आनेवाली शिकायतों का भी हल मिल सकता है।

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