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    अरावली केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 01:46 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले में अपने 19 नवंबर के आदेश पर रोक लगा दी है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कोर्ट की टिप्पणियों के गलत प्रस्तुतिकरण पर स्पष्टत ...और पढ़ें

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार को अरावली पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर्वत श्रृंखला की नई परिभाषा पर पिछले महीने दिए गए अपने ही आदेश पर रोक लगा दी। दरअसल, इससे पहले के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों का आरोप था कि यह नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के विशाल क्षेत्रों को अवैध और अनियमित खनन के लिए खोल सकता है।

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    मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हम समिति की सिफारिशों और इस न्यायालय के निर्देशों को स्थगित रखना आवश्यक समझते हैं। (नई) समिति के गठन तक यह स्थगन प्रभावी रहेगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

    वहीं, मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संघीय सरकार और चार संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया। वहीं, विशेषज्ञों के एक नए पैनल के गठन का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी तय की।

    Supreme Court (2)

    उल्लेखनीय है कि ये पूरा मामला उस वक्त शुरू हुआ, जब केंद्र सरकार ने अपनी नई परिभाषा को अधिसूचित किया, जिसके बारे में कार्यकर्ताओं और एक्सपर्ट्स ने आरोप लगाया कि इसे पर्याप्त मूल्यांकन या सार्वजनिक परामर्श के बिना तैयार किया गया था। कहा जा रहा था कि इससे हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली के बड़े हिस्से खनन के खतरे में पड़ सकते हैं।

    नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?

    इसी साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को क्षेत्र में किसी भी नई खनन संबंधी गतिविधि की अनुमति देने से पहले सतत खनन के लिए एक व्यापक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। आज सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से बहस करते हुए सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अदालत ने पिछले महीने उस योजना को स्वीकार कर लिया था।

    Supreme Court (1)

    सीजेआई ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?

    हालांकि, इस दौरान सीजेआई ने इसका खंडन किया और कहा कि हमारा मानना है कि समिति की रिपोर्ट और अदालत की टिप्पणियों की गलत व्याख्या की जा रही है। कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और कार्यान्वयन से पहले, एक निष्पक्ष, तटस्थ और स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय पर विचार किया जाना चाहिए।

    सीजेआई ने यह भी कहा कि स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए ऐसा कदम आवश्यक है... यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि क्या इस (नई परिभाषा) ने गैर-अरावली क्षेत्रों के दायरे को व्यापक बना दिया है... जिससे अनियमित खनन जारी रखने में सुविधा हो रही है।

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