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    दुष्कर्म पर इलाहाबाद HC की टिप्पणी पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, फैसले पर लगाई रोक

    नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। जजों ने फैसले को असंवेदनशील बताया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था- नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए इस पर अपना फैसला सुनाया है।

    By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Wed, 26 Mar 2025 11:51 AM (IST)
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    इलाहबाद HC के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुष्कर्म मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जजों ने फैसले को असंवेदनशील और अमानवीय बताया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इससे पहले कहा था 'नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप नहीं।'

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    अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और कहा, हमें ये देखकर दुख हो रहा है कि फैसला लिखने वालों में संवेदनशीलता नहीं है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने बुधवार को सुनवाई की।

    सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस

    बीते दिन मंगलवार को SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुद से नोटिस लिया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है। कोर्ट ने उन्हें इसके लिए नोटिस जारी किया है।

    क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

    • SC की सुनवाई में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ फैसले ऐसे होते हैं कि उन पर रोक लगाना जरूरी हो जाता है।
    • इस फैसले के पैराग्राफ 21, 24 और 26 में जिस तरह की बातें लिखी हैं, उनसे लोगों में बहुत गलत मैसेज गया है।
    • हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी यह देखना चाहिए कि इस जज को संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने न दिया जाए।
    • जजों ने कहा कि यह फैसला तुरंत नहीं लिया गया, बल्कि सुरक्षित रखने के 4 महीने बाद सुनाया गया। यानी पूरे विचार के बाद फैसला दिया गया है।
    • फैसले में कहीं गई कई बातें कानून की दृष्टि से गलत और अमानवीय लगती हैं। ऐसे में हम इस फैसले पर रोक लगा रहे हैं और सभी पक्षों को नोटिस जारी कर रहे हैं।

    11 साल की लड़की से जुड़ा है मामला

    17 मार्च को आए इस फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि पीड़िता को खींच कर पुलिया के नीचे ले जाना, उसके ब्रेस्ट को पकड़ना और पायजामे के डोरी को तोड़ना रेप की कोशिश नहीं कहलाएगा। 11 साल की लड़की के साथ हुई इस घटना के बारे में हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा का निष्कर्ष था कि यह महिला की गरिमा पर आघात का मामला है। इसे रेप या रेप की कोशिश नहीं कह सकते।

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