SC ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर केंद्र से मांगी रिपोर्ट, Air Pollution पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से नियंत्रण उपायों पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने पराली को प्रदूषण का एकमात्र कारण मानने पर सवाल उठाया और अन्य कारकों के आकलन पर जोर दिया। कोर्ट ने दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने का भी निर्देश दिया है, और मामले की नियमित सुनवाई की बात कही है।
-1764604081422.webp)
SC ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर केंद्र से मांगी रिपोर्ट (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी सहित एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए इस मामले पर नियमित सुनवाई करने की बात कही है। कोर्ट ने केंद्र से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए गए उपायों पर रिपोर्ट मांगी है।
शीर्ष अदालत ने कहा है कि दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपायों का ब्योरा देने के साथ ही इस बात का भी आकलन हो कि कौन से उपाय प्रभावी रहे और कौन से कम प्रभावी रहे। इससे प्रभावी उपायों को जारी रखा जा सकता है और कम प्रभावी उपायों के दूसरे विकल्प तलाशे जा सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने वायु प्रदूषण के लिए पराली को दोष देने की प्रवृति पर सवाल उठाया और कहा कि सिर्फ किसानों को दोष नहीं दिया जा सकता।
CJI ने की टिप्पणी
पराली जलने की घटनाएं कोरोना लाकडाउन में भी होती थीं लेकिन उस समय आसमान एकदम साफ नीला दिखाई देता था। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बाग्ची ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि पराली जलाने को राजनीतिक या प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।
दिल्ली एनसीआर की हवा खराब होने और वायु प्रदूषण के और भी कारण हो सकते हैं। पराली के अलावा और क्या कारण हैं और उनका प्रदूषण में कितना योगदान है इसका आकलन किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक विश्लेषण से पता लगाया जाना चाहिए कि और क्या कारण हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह पराली के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहते।
प्रदूषण के लिए किसानों पर जिम्मेदारी डालना ठीक नहीं है, उनका इस अदालत में बहुत कम प्रतिनिधित्व है। कोर्ट की टिप्पणियों पर केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पराली की दिक्कत सिर्फ 15 दिन की है यह समस्या सिर्फ जाड़े में होती है। एक वकील ने कहा कि पराली जलने की घटनाओं में पहले से 90 प्रतिशत कमी आयी है जबकि प्रदूषण में कोई कमी नहीं आयी है।
सुनवाई में कोर्ट की मददगार वकील अपराजिता ¨सह ने कहा कि पराली की समस्या सिर्फ जाड़े मे आती है। इसके अलावा वाहनों का प्रदूषण, उद्योगों का प्रदूषण और धूल के कण आदि कारण हैं। पीठ ने केंद्र से पूछा कि आपने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किये हैं इसकी रिपोर्ट दीजिए। कौन से अल्पकालिक उपाय किये गए हैं और कौन से दीर्घकालिक उपाय हैं।
एक सप्ताह में रिपोर्ट देने की बात कहते हुए सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय कर दी। पीठ ने कहा कि अब इसकी लगातार सुनवाई की जाएगी ऐसा नहीं होगा कि सिर्फ जाड़ों में अक्टूबर के समय सुनवाई हो और उसके बाद न हो। महीने में दो बार सुनवाई होगी।
कोर्ट ने क्या उपाय बताए
भाटी ने कोर्ट से कहा कि आयोग ने हलफनामा दाखिल किया है जिसमें क्रमवार कारण और उपाय बताए गए हैं। जीरो पराली जलने का लक्ष्य रखा गया था जो हो पाया। इसके अलावा वाहन प्रदूषण, धूल के कण, कचरा जलना, निर्माण आदि भी कारण हैं। वह अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय बताएंगी। तभी पीठ ने शहरों की गैरनियोजित प्लानिंग की ओर इशारा करते हुए कहा कि सबसे बड़ी समस्या शहरों का गैरनियोजित विस्तार और जनसंख्या है।
एक घर में कई कारें हैं। देखना होगा कि जो उपाय किये गए हैं वे कितने प्रभावी ढंग से लागू हो रहे हैं या फिर सिर्फ कागजों पर ही हैं। प्रदूषण के कारकों का वैज्ञानिक विश्लेषण होना चाहिए। विशेषज्ञों के जरिए समाधान ढूंढा जाना चाहिए। एक वकील ने जब सभी शहरों में कार पार्किंग की समस्या उठाई और कहा कि सभी सड़कों पर दोनों तरफ कारें पार्क रहती हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मैट्रो इसमें गेम चेंजर हो सकती है। हालांकि यह दीर्घकालिक उपाय होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।