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    सुप्रीम कोर्ट: अग्रिम जमानत को दाम्पत्य जीवन फिर शुरू करने से नहीं जोड़ा जा सकता, झारखंड हाईकोर्ट का आदेश रद

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 03 Aug 2025 07:20 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दाम्पत्य जीवन फिर शुरू करने की शर्त पर दी गई अग्रिम जमानत रद कर दी है। शीर्ष अदालत ने अग्रिम जमानत देने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को इस शर्त पर अग्रिम जमानत दी थी कि वह अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन जारी रखेगा तथा उसका सम्मान और गरिमा के साथ भरण-पोषण करेगा।

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    दाम्पत्य जीवन फिर शुरू करने की शर्त पर अग्रिम जमानत संबंधी आदेश खारिज (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दाम्पत्य जीवन फिर शुरू करने की शर्त पर दी गई अग्रिम जमानत रद कर दी है। शीर्ष अदालत ने अग्रिम जमानत देने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया है।

    हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को इस शर्त पर अग्रिम जमानत दी थी कि वह अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन जारी रखेगा तथा उसका सम्मान और गरिमा के साथ भरण-पोषण करेगा।

    झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया

    जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने कहा कि वह व्यक्ति तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दर्ज मामले में आरोपित है।

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    पीठ ने 29 जुलाई के अपने आदेश में कहा, हाई कोर्ट को अग्रिम जमानत के आवेदन पर पूरी तरह से तय मापदंडों के आधार पर विचार करना चाहिए था, न कि कोई शर्त लगानी चाहिए थी, जो पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438(2) से संबद्ध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश हाई कोर्ट के फरवरी 2025 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया।

    हाई कोर्ट में दंपती ने कही थी ये बात

    शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान महिला की ओर से पेश वकील ने कहा कि आरोपित ने महिला के साथ मिलकर हाई कोर्ट में संयुक्त रूप से कहा था कि वह अपना वैवाहिक जीवन फिर से शुरू करने को तैयार है। वह अब अपनी बात से नहीं पलट सकता।

    पीठ ने कहा कि वकील इस मायने में आंशिक रूप से सही हैं कि व्यक्ति वैवाहिक जीवन फिर से शुरू करने के लिए सहमत हो गया था। हालांकि, महिला ने एक और शर्त लगाने पर जोर दिया, जिस पर हमें नहीं लगता कि अपीलकर्ता (पुरुष) सहमत हुआ है।

    महिला का सम्मान जोखिम भरा- पीठ

    प्रतीत होता है कि पति-पत्नी अलग हो गए थे और कुछ समय तक अलग-अलग रहे थे। यह शर्त लगाना कि अपीलकर्ता महिला का सम्मान और गरिमा के साथ पालन-पोषण करेगा, जोखिम भरा है क्योंकि इससे आगे मुकदमेबाजी बढ़ सकती है।

    कोर्ट ने कहा कि यदि इस आधार पर जमानत रद करने के लिए आवेदन किया जाता है कि ऐसी शर्त का पालन नहीं किया गया है, तो बाद में आवेदन करने पर व्यक्ति की ओर से विरोध किया जाएगा और इससे हाई कोर्ट को और अधिक कठिनाई हो सकती है।

    गुण-दोष के आधार पर इस पर नये सिरे से निर्णय लेने को कहा

    पीठ ने कहा, आदेश रद किया जाता है। अपील स्वीकार की जाती है। इसने अग्रिम जमानत आवेदन को हाई कोर्ट की फाइल पर बहाल कर दिया तथा उसे यथाशीघ्र, इसके गुण-दोष के आधार पर इस पर नये सिरे से निर्णय लेने को कहा।

    मामले के संबंध में व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा

    पीठ ने कहा कि जब तक हाई कोर्ट द्वारा मामले पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक शीर्ष अदालत द्वारा व्यक्ति को दिया गया अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा। इससे पहले पारित अपने अंतरिम निर्देश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि मामले के संबंध में व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, बशर्ते कि जांच अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर वह जांच में शामिल हो जाए।

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