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    उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने से SC का इनकार, दी यह राय

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संपत्तियों का ब्योरा उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को वक्फ कानून के तहत ट्रिब्यूनल में अर्जी दाखिल करने की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल मामले की समीक्षा कर समय सीमा बढ़ाने पर फैसला ले सकता है। यह फैसला न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और ऑगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने सुनाया।

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    उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने से SC का इनकार (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ प्रापर्टी का ब्योरा उम्मीद पोर्टल पर अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर करते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे वक्फ कानून के मुताबिक समय सीमा बढ़ाने के लिए ट्रिब्युनल के समक्ष अर्जी दे सकते हैं। अगर ट्रिब्युनल को लगेगा तो वह समय सीमा बढ़ा सकती है।

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    उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का ब्योरा अपलोड करने की छह महीने की कानूनी समय सीमा छह दिसंबर को समाप्त हो रही है। कई लोगों ने अर्जियां दाखिल कर उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का ब्योरा अपलोड करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी।

    ओवैसी भी थे शामिल

    इसमें मुख्यत: दलील थी कि वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबे समय तक सुरक्षित रहा जिसके कारण समय बीत गया और अभी बहुत सी संपत्तियां पोर्टल पर अपलोड नहीं हुई हैं। इसलिए समय सीमा बढ़ाई जाए। अर्जी दाखिल करने वालों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, जमीयत उलमा ए हिंद और और एआइएमआइएम के नेता असदद्दुीन ओवैसी शामिल थे।

    अर्जियां पर सोमवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान अर्जी दाखिल करने वालों की की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु ¨सघवी ने समय बढ़ाने का अनुरोध किया। कहा छह दिसंबर का समय बहुत कम है और इसमें सभी वक्फ संपत्तियों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करना संभव नहीं है।

    हालांकि केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि वक्फ कानून में ही छह महीने की समय सीमा तय की गई है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है और वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का नियम तो 1929 से है। मेहता ने कहा कि अर्जीकर्ता एक प्रकार से वक्फ कानून की धारा तीन बी में संशोधन की मांग कर रहे हैं जिसमें समय सीमा बढ़ाने का प्रविधान है।

    अर्जी की जा सकती है दाखिल

    ट्रिब्युनल के समक्ष अर्जी दाखिल की जा सकती है और अगर ट्रिब्युनल को कारण वास्तविक लगते हैं तो ट्रिब्युनल छह महीने की समय सीमा और बढ़ा सकती है। मेहता का कहना था कि बहुत से लोग संपत्तियां अपलोड कर चुके हैं। कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर ट्रिब्युनल जाने की बात होगी तो 10 लाख मुतवल्लियों को ट्रिब्युनल में अर्जी देने पड़ेगी जो ज्यादा परेशानी की बात होगी ऐसे में कोर्ट ही समय बढ़ा दे।

    उन्होंने ब्योरा अपलोड करने में आ रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहा कि यह अपलोड नहीं हो रहा है। लेकिन पीठ दलीलों से प्रभावित नहीं हुई और कहा कि अर्जीकर्ता कानून के मुताबिक समय सीमा बढ़ाने के लिए ट्रिब्युलन में आवेदन कर सकते हैं और ट्रिब्युनल हर मामले को देख कर निर्णय लेगी।

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