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    राजनीतिक पार्टी के नियमों को लेकर दायर हुई याचिका, SC ने चुनाव आयोग को भेजा नोटिस

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 03:59 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र को नोटिस जारी किया है, जिसमें राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट पर नियम प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की याचिका में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने का आग्रह किया गया है।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग और केंद्र को उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि प्रत्येक राजनीतिक दल अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर अपने ज्ञापन, नियम और विनियम प्रकाशित करें।

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    न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग, विधि मंत्रालय और विधि आयोग से जवाब मांगा है। यह आवेदन अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पहले से लंबित एक जनहित याचिका में दायर किया गया था।

    इस याचिका धर्मनिरपेक्षता, पारदर्शिता और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    'शासन व्यवस्था राजनीतिक दलों के इर्द-गिर्द घूमती है'

    आवेदन में चुनाव आयोग को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29बी और धारा 29सी का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित आदेश या निर्देश जारी करने और अनुपालन रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करने के लिए अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    आवेदन में कहा गया है, "राजनीतिक दलों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है और उनसे कानून द्वारा स्थापित संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने की अपेक्षा की जाती है। राजनीतिक दल उम्मीदवारों को टिकट देते हैं और लोग पार्टी के चुनाव चिन्ह पर वोट देते हैं, इसलिए राजनीतिक दल लोकतांत्रिक शासन के महत्वपूर्ण अंग हैं और एक सार्वजनिक प्राधिकरण की तरह काम करते हैं।"

    आवेदन में आगे कहा गया है कि पूरी शासन व्यवस्था राजनीतिक दलों के इर्द-गिर्द घूमती है और वे निरंतर सार्वजनिक कर्तव्य निर्वहन में लगे रहते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वे जनता के प्रति जवाबदेह बनें।

    आवेदन में आगे कहा गया है, "राजनीतिक दलों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही जनहित में आवश्यक है, क्योंकि वे सार्वजनिक कार्य करते हैं, और इसलिए, चुनाव आयोग को उनके लिए नियम और कानून बनाने चाहिए।"

    व्यापक नियम बनाने के निर्देश

    12 सितंबर को शीर्ष अदालत ने उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था, जिसमें राजनीति में भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण और धन शोधन के खतरे को कम करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिका में केंद्र से राजनीतिक दलों के पंजीकरण और कामकाज को नियंत्रित करने वाले व्यापक नियम बनाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिका में आरोप लगाया गया था कि "फर्जी राजनीतिक दल" न केवल लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं, बल्कि खूंखार अपराधियों, अपहरणकर्ताओं, ड्रग तस्करों और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों से भारी मात्रा में पैसा लेकर उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त करके देश की छवि भी खराब कर रहे हैं।

    (समाचार एजेंसी PTI इनपुट के साथ)

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