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    सावरकर पर टिप्पणी मामले में कोर्ट ने मंजूर की याचिका, राहुल गांधी की ओर से की गई थी ये मांग

    सावरकर पर टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में पुणे कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राहुल की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने केस को समरी ट्रायल के बजाय समन ट्रायल में बदलने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि मामले में ऐतिहासिक संदर्भ और जटिल कानूनी पहलू जुड़े हैं इसलिए विस्तृत सुनवाई जरूरी है।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Tue, 08 Apr 2025 04:15 AM (IST)
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    राहुल गांधी को मिली समन ट्रायल की मंजूरी, पेश कर सकेंगे साक्ष्य। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, पुणे। स्थानीय अदालत ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने वीडी सावरकर पर टिप्पणी को लेकर मानहानि मामले को समरी ट्रायल से समन ट्रायल में बदलने की मांग की थी, ताकि ऐतिहासिक संदर्भों और साक्ष्यों पर चर्चा की जा सके।

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    सांसदों/विधायकों के लिए विशेष अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार कर लिया।

    अदालत ने आदेश में क्या कहा?

    अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामला प्रथम दृष्टया समन ट्रायल की श्रेणी में आता है। मौजूदा मामले में आरोपित तथ्यों और कानून के ऐसे सवाल उठा रहा है, जो जटिल प्रकृति के हैं। आरोपित ने कुछ मुद्दे भी उठाए हैं, जिनका निर्धारण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाएगा। इसलिए मेरे विचार से इस मामले को समरी ट्रायल के रूप में चलाना अवांछनीय है, क्योंकि समरी ट्रायल में विस्तृत साक्ष्य नहीं जुटाए जाते और जिरह नहीं की जाती है।

    जज ने कहा, समन ट्रायल में आरोपित को विस्तृत साक्ष्य पेश करने होंगे और शिकायतकर्ता के गवाहों से गहनता से जिरह करनी होगी। न्याय के हित में यह आवश्यक है कि केस की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाए। यदि वर्तमान मामले की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाती है तो किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।

    राहुल गांधी के खिलाफ सावरकर के पोते ने की थी शिकायत

    सावरकर के पोते सात्यकी सावरकर ने पुणे की एक अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि कांग्रेस नेता ने मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण में कहा था कि सावरकर ने एक किताब में लिखा है कि उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और इससे खुश हुए थे। शिकायत के अनुसार, ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने इस संबंध में कुछ लिखा।

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