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Sariska Century: लगातार बाघों की हो रही मौत, सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञों की चिंता बढ़ी

राजस्थान की सरिस्का सेंचूरी में लगातार बाघों की मौत हो रही है। पिछले डेढ़ साल में 7 बाघों की मौत हो गई है। इससे वन विभाग के अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ चिंतित हैं।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 07:35 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jun 2019 07:35 PM (IST)
Sariska Century: लगातार बाघों की हो रही मौत, सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञों की चिंता बढ़ी

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में 866 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र फैली राजस्थान की सरिस्का सेंचूरी लगातार बाघों की हो रही मौत से बदनाम होने लगी है। यहां बाघों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक जारी है। बाघों की मौत से चिंतित राज्य वन विभाग के अधिकारी और वन्यजीव विशेषज्ञ अब सरिस्का में बाघों के पुनर्वास की समीक्षा करने की बात कह रहे है। प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन अरिंदम तोमर का कहना है कि मैंने बाघ पुनर्वास कार्यक्रम की समीक्षा करने को लेकर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अॅथॉरिटी (एनटीसीए) को पत्र लिखा है। 

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प्रदेश के पूर्व वनमंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने सरिस्का में बाघों की मौत पर चिंता जताते हुए कहा कि इस सेंचूरी में मानव दखल पूरी तरह से बंद होना चाहिए। सरिस्का में बाघों के खतरे का मुख्य कारण कोर एरिया में बसे 26 गांव और आधा दर्जन धार्मिक स्थल है। यही कारण है कि सरिस्का का कोई क्षेत्र मानविय दखल से अछूता नहीं रह गया है। एक तरफ तो शांत स्थान नहीं मिलने के कारण बाघों में स्ट्रैस हार्मोंस की तेजी से वृद्धि हो रही है। वहीं दूसरी तरफ शिकारियों का भय हमेशा बना रहता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिसर्च में भी ये तथ्य सामने आए थे। 

डेढ़ साल में 7 बाघों की मौत 

दो दिन पहले ही सरिस्का में बाघ एसटी-16 की मौत हुई है। वन विभाग ने इस बाघ की मौत का कारण हीट स्ट्रोक को बताया है, वहीं वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेंकुलाइजेशन के समय हाईडोज देने के कारण बाघ की मौत हुई है। सरिस्का में पिछले डेढ़ साल में 7 बाघों की मौत हुई है।

इनमें बाघएसटी-1,एसटी-4,एसटी-5,एसटी-16 के साथ ही तीन शावक भी शामिल हैं। इनमें से चार बाघ वे थे जो रणथंभौर से यहां शिफ्ट किए गए थे। एक बाघ एसटी-11 का शिकार हुआ था। इस मामले में भगवान सहाय प्रजापत नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। 

2005 में घोषित हुआ बाघ विहीन, 2008 में फिर हुआ पुनर्वास 

शिकारियों के आतंक और मानविय दखल के चलते सरकार ने 2005 में सरिस्का को बाघ विहीन घोषित कर दिया था। इससे पहले यहां 15 से 20 बाघ थे। बाघों के सफाए के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार (मनमोहन सिंह सरकार) और राज्य सरकार ने अलग-अलग कमेटियों का गठन कर बाघों के सफाए के कारण,बाघों के पुनर्वास,सुरक्षा के उपाय और बाघों की मौत के दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश के निर्देश दिए।

उस समय केंद्र सरकार ने सुनीता नारायणन और राज्य सरकार ने वी.पी.सिंह की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर इन्हे सरिस्का को फिर से बाघों से आबाद करने का जिम्मा सौंपा। उसके बाद साल 2008 में पहली बार रणथंभौर से पहले बाघ को सरिस्का लाया गया। 

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