संपत्ति बेचने वाला जब्त कर सकता है बयाना की रकम
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी अचल संपत्ति का खरीदार यदि बकाया राशि का भुगतान करने में नाकाम रहता है तो विक्रेता बयाना की पूरी राशि जब्त कर सकता है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी अचल संपत्ति का खरीदार यदि बकाया राशि का भुगतान करने में नाकाम रहता है तो विक्रेता बयाना की पूरी राशि जब्त कर सकता है।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और दीपक मिश्र की पीठ ने कहा कि बयाना करार से बंधे होने के लिए दिया जाता है और यदि अचल संपत्ति की बिक्री खरीदार की गलती के कारण नहीं हो पाती तो विक्रेता को बयाना की रकम जब्त कर लेने का हक है। बयाना तब दिया जाता है जब करार होता है और करार तभी होता है जब खरीदार भुगतान करने के लिए खुद को सक्षम पाता है। इसलिए यदि खरीदार शेष राशि के भुगतान के वादे को निभाने में सक्षम नहीं होता हो तो विक्रेता द्वारा बयाना राशि जब्त की जा सकती है। पीठ ने यह व्यवस्था दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश को दरकिनार करते हुए दी। हाई कोर्ट ने कहा था कि विक्रेता पूरी राशि में से मामूली राशि ही जब्त कर सकता है पूरी राशि नहीं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि बयाना की राशि चाहे कितनी भी क्यों न हो, जब्त की जा सकती है। पीठ ने कहा कि करार में यह भी प्रावधान हो सकता है कि यदि बेचने वाला करार के मुताबिक सौदा नहीं बेच पाए तो उससे खरीदार दी गई राशि का दोगुना वसूले। कानून यह भी है कि खरीद राशि के हिस्से के रूप में किए गए भुगतान को तब तक जब्त नहीं किया जा सकता जब तक इस बात की गारंटी हो कि करार के मुताबिक शेष राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। दूसरे शब्दों में यदि भुगतान खरीद मूल्य के हिस्से के रूप में किया गया हो और वह बयाना के मकसद से नहीं हो तो जब्त करने वाली शर्त लागू नहीं होगी। अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उस व्यक्ति की याचिका पर यह निर्णय दिया जिसमें हाई कोर्ट ने कहा था कि खरीदार द्वारा बयाना के तौर पर दिए गए सात लाख रुपये में से विक्रेता मात्र 50 हजार रुपये काट कर शेष राशि लौटा दे। खरीदार 70 लाख रुपये की संपत्ति के शेष 63 लाख रुपये का इंतजाम नहीं कर पाया था।
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