Parliament Session: सपा ने इंडी गठबंधन को दिया बड़ा झटका, संसद में गतिरोध पर ये क्या बोल गईं रेणुका चौधरी?
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने भाजपा सरकार पर सदन नहीं चलाने का आरोप लगाया है। चौधरी ने कहा हम सदन चलाने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास करते हैं क्योंकि जनता हमसे उम्मीद करती है कि हम यहां उनकी आवाज मजसबूती से उठाएंगे। अगर सरकार सदन चलाना चाहती है तो वह चलेगी। अगर वे ऐसा नहीं चाहते हैं तो फिर साजिश क्या है यह सबको पता है।
एएनआई, नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। आज भी संसद के बाहर विपक्ष का जोरदार हंगामा भी देखने को मिला। विपक्ष लगाकार अडानी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की मांग कर रहा है। लेकिन इस बीच विपक्ष खेमे में दरारें एक बार फिर खुलकर सामने आ गई हैं।
समाजवादी और TMC ने किया प्रदर्शन से किनारा
ताजा जानकारी के अनुसार, जब कांग्रेस पार्टी के साथ अन्य विपक्षी पार्टियां संसद के बाहर अपने मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रही थी तब कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां समाजवादी और TMC ने विरोध प्रदर्शन से किनारा कर लिया।
वो लायक हैं तो चलाएंगे सदन- रेणुका चौधरी
वहीं, कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने भाजपा सरकार पर सदन नहीं चलाने का आरोप लगाया है। चौधरी ने कहा, हम सदन चलाने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास करते हैं क्योंकि जनता हमसे उम्मीद करती है कि हम यहां उनकी आवाज मजबूती से उठाएंगे।
#WATCH | Congress MP Renuka Chowdhury says, "We make all efforts from our end to run the House because the public expects us to raise their voice here strongly. If the Govt wants to run the House, it will function. If they do not want that, then everyone knows what the conspiracy… pic.twitter.com/mpct1x9Mhy
— ANI (@ANI) December 3, 2024
उन्होंने आगे कहा, अगर सरकार सदन चलाना चाहती है तो वह चलेगी। अगर वे ऐसा नहीं चाहते हैं तो फिर साजिश क्या है, यह सबको पता है। सदन चलाना हमारी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि जो लोग कुर्सी पर बैठे हैं और पदों पर हैं, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। अगर वो लायक हैं तो चलाएंगे और नालायक हैं तो नहीं चलाएंगे।
संभल हिंसा को लेकर पूरे विपक्ष ने किया वॉकआउट
उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा (Sambhal Violence) को लेकर मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित लगभग पूरे विपक्ष ने सदन से संक्षिप्त वाकआउट किया।
जैसे ही सदन में प्रश्नकाल शुरु हुआ, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव अपनी सीट से उठे और इस मुद्दे को उठाते हुए अध्यक्ष ओम बिरला से संभल हिंसा पर बोलने की अनुमति मांगी।
यादव को यह कहते हुए सुना गया, यह बहुत गंभीर मामला है। पांच लोगों की जान चली गई है।
जैसे ही अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य इस मुद्दे को शून्यकाल में उठा सकते हैं, यादव और उनकी पार्टी के साथी विरोध में सदन से बाहर चले गए। इस बीच, कुछ सपा सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए।
जब सपा सदस्य सदन के आसन के समीप आकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, तब डीएमके सदस्य ए राजा को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सदस्यों से अपनी सीटों से उठकर सपा के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह करते देखा गया।
एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी ने किया सपा का समर्थन
समाजवादी पार्टी के सांसदों के समर्थन में एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी के सदस्य खड़े हो गए।
कांग्रेस के कुछ सदस्य भी खड़े हो गए और सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी विरोध के समर्थन में सदन में आ गए।
जब विरोध प्रदर्शन चल रहा था, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यादव से संपर्क किया।
कुछ देर बाद यादव को अपनी पार्टी के सांसदों को जाने का इशारा करते हुए देखा गया और गांधी समेत विपक्षी सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया। इसके बाद सांसद चल रहे प्रश्नकाल में भाग लेने के लिए वापस आ गए।
राम गोपाल यादव ने लगाए गंभीर आरोप
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने सदन में संभल हिंसा को लेकर अपना पक्ष रखा। इस दौरान यादव ने कहा कि 24 दिसंबर को सुबह 6 बजे पूरे संभल में पुलिस तैनात कर दी गई। संभल के लोगों को पता ही नहीं था कि पुलिस क्यों तैनात की जा रही है।
#WATCH | In the Rajya Sabha, Samajwadi Party MP Ram Gopal Yadav says, "On 24th December, at 6 am, police was deployed in the entire Sambhal. The people of Sambhal did not even know why the police were being deployed. After some time, the DM, SSP, lawyer, and some people went with… pic.twitter.com/XKu6g53H9e
— ANI (@ANI) December 3, 2024
उन्होंने आगे कहा, कुछ देर बाद डीएम, एसएसपी, वकील और कुछ लोग पुलिस के साथ ढोल बजाते हुए मस्जिद में घुस गए। भीड़ को शक था कि वे मस्जिद में तोड़फोड़ करने जा रहे हैं।
एसडीएम ने पानी की टंकी खोली और जब पानी बाहर निकलने लगा तो लोगों को शक हुआ कि उसमें कुछ गड़बड़ है और फिर वहां अशांति फैल गई।
पुलिस ने गोलियां चलाईं, 5 लोग मारे गए, 20 लोग घायल हुए, सैकड़ों लोगों पर केस दर्ज किए गए और कई लोग जेल में हैं, जो पकड़े गए उन्हें बुरी तरह पीटा गया। मैं और कई अन्य लोग मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में पहले जो चुनाव हुए थे, उसमें पड़ोसी जिलों की पुलिस ने किसी को वोट नहीं डालने दिया और जबरन चुनाव पर कब्जा कर लिया। यह सब एक तरह से उससे ध्यान हटाने के लिए हुआ।
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