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    Dandi March: नमक सत्याग्रह के बारे में सिर्फ 5 प्वाइंट में जानें वो सबकुछ जो आपके लिए जरूरी है

    By Digpal SinghEdited By:
    Updated: Tue, 12 Mar 2019 11:27 AM (IST)

    12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने नमक पर टैक्स लगाने के अंग्रेजों के फैसले के खिलाफ अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। जानें इस यात्रा के बारे में सब कुछ...

    Dandi March: नमक सत्याग्रह के बारे में सिर्फ 5 प्वाइंट में जानें वो सबकुछ जो आपके लिए जरूरी है

    नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। Dandi March - महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ने के लिए इस दांडी मार्च का आयोजन किया था। साल 1930 में आज ही के दिन यानि 12 मार्च को महात्मा गांधी के नेतृत्व में इस दांडी यात्रा की शुरुआत हुई थी। यह एक ऐसा वक्त था, जब देश आजादी के लिए अंगड़ाई ले रहा था। एक तरफ भगतसिंह जैसे युवा नेताओं ने अंग्रेजों की नाक में दम किया हुआ था और दूसरी तरफ महात्मा गांधी अंहिसात्मक आंदोलन के जरिए अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ने निकल पड़े।

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    12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने नमक पर टैक्स लगाने के अंग्रेजों के फैसले के खिलाफ अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह की शुरुआत की। इसके तहत समुद्र के किनारे बसे एक गांव दांडी तक 24 दिन की लंबी यात्रा की गई। यहां पहुंचकर गांधीजी के नेतृत्व में हजारों लोगों ने अंग्रेजों ने नमक कानून को तोड़ा। यह एक अहिंसात्मक आंदोलन और पद यात्रा थी। देश के आजादी के इतिहास में दांडी यात्रा को खासा महत्व दिया जाता है।

    दांड़ी यात्रा के बारे में जो बातें आपके लिए जानना जरूरी हैं...

    1. दांडी यात्रा यानि नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च 1930 को हुई थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में 24 दिन का यह अहिंसा मार्च 6 अप्रैल को दांडी पहुंचा और अंग्रेजों का बनाया नमक कानून तोड़ा।

    2. उस वक्त देश पर अंग्रेजों का राज था और किसी भी भारतीय के नमक इकट्ठा करने या बेचने पर रोक थी। यही नहीं भारतीयों को नमक अंग्रेजों से ही खरीदना पड़ता था। नमक बनाने के मामले में अंग्रेजों की मोनोपॉली चलती थी और वह नमक पर भारी टैक्स भी वसूलते थे। नमक सत्याग्रह अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ एक बड़ी रैली थी।

    3. दांडी में समुद्र किनारे पहुंचकर महात्मा गांधी ने गैर-कानूनी तरीके से नमक बनाया और अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा। आगे चलकर यह एक बड़ा नमक सत्याग्रह बन गया और हजारों लोगों ने न सिर्फ नमक बनाया, बल्कि अंग्रेजी कानून तो धता बताते हुए गैर-कानूनी नमक खरीदा भी।

    4. नमक सत्याग्रह की शुरुआत करीब 80 लोगों के साथ हुई थी। जैसे-जैसे यह यात्रा अहमदाबाद से दांडी की तरफ बढ़ी, वैसे-वैसे इस 390 किमी लंबी यात्रा में लोग जुड़ते चले गए। दांड़ी पहुंचने तक इस अहिंसक नमक सत्याग्रह में 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे।

    5. नमक सत्याग्रह जिस तरह से बिना किसी हिंसा के आगे बढ़ा और बड़ी ही शालीनता से अंग्रेजों के एकतरफा कानून को तोड़ा गया, उसकी दुनियाभर में चर्चा होने लगी। इस दांडी मार्च ने अंग्रेजी हुकूमत को भी हिलाकर रख दिया था। नमक सत्याग्रह को अखबारों ने खूब जगह दी और इससे भारत के स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा भी मिली।