Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'सिलिगुड़ी कॉरिडोर का 1971 में सुधार करना चाहिए था', सद्गुरु ने बताया चिकन नेक 78 साल पुरानी भूल

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 07:45 PM (IST)

    सद्गुरु ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर को भारत के विभाजन से उत्पन्न "78 वर्षीय विसंगति" बताया, जिसे 1971 में सुधारा जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया ...और पढ़ें

    Hero Image

    सद्गुरु ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर को बताया 78 साल पुरानी भूल (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने बंगाल स्थित सिलिगुड़ी कॉरिडोर  को ''78 वर्षीय विसंगति'' बताया, जो भारत के विभाजन के कारण उत्पन्न हुई है। इसे दशकों पहले सुधारना चाहिए था और अब समय आ गया है कि चिकन नेक कही जाने वाली मुर्गी को पोषण दें और उसे हाथी में विकसित होने दें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उन्होंने यह टिप्पणी बेंगलुरु में सद्गुरु सन्निधि में एक सत्संग के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सिलिगुड़ी कॉरिडोर  पर की गई टिप्पणियों के जवाब में की।

    सद्गुरु ने बातचीत का एक वीडियो एक्स पर साझा करते हुए सोमवार को कहा, 'सिलिगुड़ी कारिडोर एक 78 वर्षीय विसंगति है, जो भारत के विभाजन के कारण बनी है, जिसे 1971 में सुधारना चाहिए था। अब जब राष्ट्र की संप्रभुता के लिए एक खुला खतरा है, तो 22 किमी संकरे इस गलियारे और चौड़ा कर विकसित होने दें।'

    1972 में हमारे पास अधिकार था

    सद्गुरु ने 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद की गई चूक के अवसरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस मुद्दे को उस समय संबोधित किया जाना चाहिए था, जब भारत के पास ऐसा करने का अधिकार था। शायद 1946-47 में हमारे पास ऐसा करने का अधिकार नहीं था, लेकिन 1972 में हमारे पास अधिकार था, पर हमने ऐसा नहीं किया।

    अखंडता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता

    अब इस चिकन नेक के बारे में लोग बात करने लगे हैं, यह समय है कि हम चिकन नेक को चौड़ा करें और हाथी की गर्दन को संभालना आसान होगा। भारत की क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में कोई राष्ट्र नहीं होते, कोई सीमाएं नहीं होतीं, तो यह अद्भुत होता, लेकिन हम अभी भी उस अस्तित्व के स्तर पर हैं। अचानक, हम यह नहीं सोच सकते कि कल हम सभी को गले लगाएंगे और अद्भुत जीवन बिताएंगे। यह अभी एक मूर्खतापूर्ण सोच है।

    सद्गुरु ने अतीत में कई अवसरों पर बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रमों के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की है, विशेष रूप से हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बार-बार होने वाले हिंसा के मामलों और मंदिरों के विनाश पर चिंता व्यक्त की। (समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)