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    Video: 54km नंगे पांव चलकर सबरीमाला पहुंचा भक्त, अमेरिकी व्लॉगर के उड़े होश; देखते ही देखते वीडियो वायरल

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 06:43 PM (IST)

    केरल के सबरीमाला मंदिर की यात्रा पर एक अमेरिकी व्लॉगर ने 54 किलोमीटर नंगे पांव चलकर आए श्रद्धालुओं से बातचीत की। व्लॉगर ने उनसे काले कपड़े पहनने का कारण पूछा जिस पर भक्तों ने बताया कि यह सबरीमाला की परंपरा है। उन्होंने बताया कि यात्रा से पहले 48 दिनों तक कठिन नियमों का पालन करना होता है।

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    श्रद्धालुओं से पूछा काले कपड़े पहनने का राज (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के पठानमथिट्टा जिले की पहाड़ियों पर स्थित सबरीमाला मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है, जिन्हें विकास और धर्म की रक्षा का देवता माना जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन जंगल और पहाड़ियों से होकर पैदल यात्रा करनी होती है।

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    हाल ही में एक अमेरिकी व्लॉगर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इसमें वे उन श्रद्धालुओं से मिलते हैं, जिन्होंने 54 किलोमिटर नंगे पांव चलकर सबरीमाला की यात्रा पूरी की थी। वीडियो में वो आश्चर्यचकित होकर पूछते हैं, आप सबने काले कपड़े क्यों पहने हैं?

    क्यों पहनते हैं काले कपड़े?

    इस सवाल के जवाब में भक्त ने जवाब दिया कि सबरीमाला की ये परंपरा है। भक्त बताते हैं कि यात्रा से पहले उन्हें लंबे समय तक कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है। एक श्रद्धालु ने बताया, "48 दिन से व्रत है। न चप्पल, न जूते और न ही बिस्तर, सिर्फ शाकाहारी भोजन और जमीन पर सोना होता है।"

    श्रद्धालुओं के इस दल ने बताया कि वे श्रीलंका से सबरीमाला आए हैं। उन्होंने पांच पहाड़ पार किए और पांचवें पहाड़ पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए 54 किलोमीटर तक सफर नंगे पांव तय किया। भक्तों की इस आस्था को देखकर सोशल मीडिया पर लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं।

    वीडियो हुआ वायरल

    वीडियो पर 4.3 लाख से ज्यादा व्यूज आ चुके हैं और सैकड़ों कमेंट्स भी आ चुके हैं। एक यूजर ने लिखा, अब समझ आया कि भक्त काले कपड़े क्यों पहनते हैं। बता दें, सबरीमाला जाने वाले तीर्थयात्रियों को 41 दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

    उन्हें सख्त शाकाहारी आहार लेना होता है और शराब व अपशब्दों से दूर रहना पड़ता है। इस दौरान बाल व नाखून भी काटे जाते। यात्री दिन में दो बार स्नान करते हैं, स्थानीय मंदिरों में नियमित दर्शन करते हैं और माथे पर भस्म या चंदन लगाते हैं।

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