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    Russia-India Crude Oil Deal: भारत को रूसी कच्चे तेल पर छूट घटकर 4 डॉलर प्रति बैरल पर हुई, ये हैं प्रमुख कारण

    By AgencyEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Sun, 09 Jul 2023 01:21 PM (IST)

    यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत को रूस से कच्चे तेल पर मिल रही भारी छूट में गिरावट आई है। रूसी बंदरगाहों से भारत तक शिपिंग की लागत 11 से 19 डॉलर प्रति बैरल हैजो कि फारस की खाड़ी से रॉटरडम तक के परिवहन शुल्क से कहीं ज्यादा है।कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलने वाली भारतीय रिफाइनरी कपंनी अब रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं।

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    Russia-India Crude Oil Deal: भारत को रूसी कच्चे तेल पर छूट घटकर 4 डॉलर प्रति बैरल पर हुई

    नई दिल्ली, एजेंसी। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत को रूस से कच्चे तेल पर मिल रही भारी छूट में गिरावट आई है। इसके अलावा रूस द्वारा तेल की डिलीवरी लेने वाले यूनिट की शिपिंग दरें भी अपारदर्शी बनी हुई हैं। वे भारत से सामान्य के काफी ज्यादा दरें वसूल रहे हैं। सूत्रों ने इनकी जानकारी दी हैं।

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    रूस भारतीय रिफाइनरी कंपनियों से पश्चिम देशों द्वारा लगाए गए 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मूल्य सीमा से कम कीमत पर बिल देता है। लेकिन बाल्टिक और काला सागर से पश्चिमी तट तक डिलीवरी के लिए 11 अमेरिकी डॉलर से 19 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के बीच वसूल रहा है, जो सामान्य दर से दोगुना है।

    रूसी तेल पर इन खरीदारों ने लगाया प्रतिबंध

    मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों के मुताबिक, रूसी बंदरगाहों से भारत तक शिपिंग की लागत 11 से 19 डॉलर प्रति बैरल है, जो कि फारस की खाड़ी से रॉटरडम तक के परिवहन शुल्क से कहीं ज्यादा है। पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, रूसी तेल पर यूरोपीय खरीदारों और जापान जैसे एशिया के कुछ खरीदारों ने प्रतिबंध लगा दिया था।

    इसके चलते रूसी यूराल्स कच्चे तेल का कारोबार ब्रेंट क्रूड (वैश्विक बेंचमार्क) से कम कीमत पर किया जाने लगा। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि रूसी यूराल ग्रेड पर छूट पिछले साल के मध्य में लगभग 30 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर से कम होकर 4 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गई है।

    भारतीय रिफाइनरी कपंनी सबसे बड़ी खरीदार

    कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलने वाली भारतीय रिफाइनरी कपंनी अब रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती और वाहनों के बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण के चलते चीन का रूस से कच्चे तेल का आयात काफी घट गया है। रूस के सस्ते कच्चे तेल को लेकर भारतीय कपंनियों ने काफी तेजी दिखाई है।

    भारत की ये कंपनियां रूस के साथ कर रही डील

    यूक्रेन युद्ध से पहले कुल कच्चे तेल की खरीद में केवल 2 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो अब बढ़कर 44 प्रतिशत पर पहुंच गई है। लेकिन ये छूटें कम हो रही हैं क्योंकि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड जैसी सरकारी-नियंत्रित यूनिट के साथ-साथ निजी कंपनियां भी कम हो रही हैं। रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी लिमिटेड रूस के साथ अलग से सौदे पर बातचीत जारी रखे हुए हैं।

    पिछले साल रूस से इतना बैरल कच्चा तेल खरीदा

    सूत्रों ने कहा कि छूट अधिक हो सकती थी, अगर राज्य नियंत्रित इकाइयां इसके बार में एक साथ बातचीत करतीं। IOC एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसने टर्म या फिक्स्ड वॉल्यूम डील की है। युद्ध से पहले भारत फरवरी, 2022 तक 12 महीनों में रूस से प्रतिदिन 44,500 बैरल कच्चा तेल खरीदता था।

    रूस से भारत की समुद्री कच्चे तेल की खरीद कुछ महीने पहले चीन द्वारा की गई खरीद से अधिक हो गई है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिफाइनरियां डिलीवरी के आधार पर रूस से कच्चा तेल खरीदती हैं, जिससे शिपिंग और बीमा की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी रूस पर आ जाती है।

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