लोगों के स्नेह और समर्थन के कारण पूरे किए 100 साल- दत्तात्रेय होसबाले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि विरोध के बावजूद आरएसएस लोगों के स्नेह और समर्थन के कारण सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बनने के लिए प्रयासरत रहा है। उन्होंने आरएसएस की शताब्दी के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी करने के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बुधवार को कहा कि विरोध के बावजूद आरएसएस पिछले 100 वर्षों में लोगों के स्नेह व समर्थन के कारण सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बनने के लिए प्रयासरत रहा है। साथ ही उन्होंने आरएसएस की शताब्दी के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी करने के लिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि यह संघ के निस्वार्थ कार्यों को मान्यता है।
होसबाले ने कहा कि संघ और उसके स्वयंसेवक 1925 में विजयदशमी के अवसर पर डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा स्थापना के बाद से व्यक्ति के चरित्र निर्माण के जरिये राष्ट्र निर्माण के अपने मिशन पर बिना किसी स्वार्थ के काम कर रहे हैं। उन्होंने आरएसएस की 100 वर्षों की यात्रा को दिलचस्प बताया और कहा कि देश की जनता द्वारा संघ के विचारों को मिले समर्थन और स्वीकृति के कारण ही संघ इतनी दूर तक पहुंच पाया है।
आरएसएस का विचार, भारत का विचार है- होसबाले
संघ को हर तरह की उदासीनता, विरोध और संघर्ष का सामना करना पड़ा, लेकिन आरएसएस की स्थापना के दिन से ही संघ कार्यकर्ताओं ने लोगों की आत्मीयता, स्नेह, समर्थन और सहयोग को अनुभव किया है।
आरएसएस का विचार, भारत का विचार है, जो इसकी जड़ों, संस्कृति और सभ्यता में समाया हुआ है। हजारों वर्षों से भारत के लोगों ने इस विचार का पालन किया व इसे जीया है और एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण के संकल्प के साथ आगे बढ़ाया है। आरएसएस उस विचार, उस जीवन दर्शन, उस संस्कृति की पहचान है। संघ के विचारों ने लोगों में फिर से खुशी और विश्वास जगाया है कि वे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ समाज के रूप में उभरने में सक्षम हैं।
होसबाले ने कहा, आज देश संघ को देशभक्ति, अनुशासन व निस्वार्थ सेवा के एक प्रभावशाली और सफल प्रतीक के रूप में देखता है। संघ समाज को संगठित करने और उसके पुरुषार्थ को जागृत करने का प्रयास कर रहा है ताकि वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सके। पिछले कुछ दशकों में दुनिया के सामने भारत की विकृत छवि पेश करने के कुत्सित प्रयास किए गए।
वैश्विक मंच पर भी भारत के विमर्श को मजबूत करना होगा- होसबाले
उन्होंने कहा, ''पिछले कुछ वर्षों में हमारे कार्यों की सफलता से देश और सरकारों की तस्वीर बदली है। एक नया रास्ता सामने आया है। हमें देश के भीतर और वैश्विक मंच पर भी भारत के विमर्श को मजबूत करना होगा। दुनियाभर में, भारत के बारे में भारत का विमर्श सकारात्मक और सत्य पर आधारित होना चाहिए। इस अवसर पर संघ का यही विचार है।''
कर्तव्यों का पालन करने के साथ 'स्व' की भावना का संचार
समाज में पांच गुना परिवर्तन लाने के आरएसएस के एजेंडे के तहत होसबाले ने लोगों से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान किया। 'पंच परिवर्तन' एजेंडे के साथ आरएसएस देशवासियों में भारतीय मूल्यों, सही पारिवारिक मूल्यों, सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने और नागरिक कर्तव्यों का पालन करने के साथ 'स्व' की भावना का संचार करना चाहता है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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