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    Rajasthan: RPSC सचिव बनकर फर्जी पोस्ट डालने पर FIR दर्ज, सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज; जांच शुरू

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 01:07 PM (IST)

    राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव के नाम से सोशल मीडिया पर फर्जी पोस्ट डालने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। आयोग के सचिव रामनिवास मेहता ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आयोग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    फर्जी पोस्ट मामला RPSC सचिव के नाम से जालसाजी FIR दर्ज (फोटो सोर्स- जेएनएन)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान लोक सेवा आयोग सचिव के पदनाम से सोशल मीडिया पर एक कूटरचित (फर्जी) पोस्ट डालने और आयोग की ख्याति को हानि पहुंचाने का प्रयास करने के संबंध में सिविल लाइंस पुलिस थाना, अजमेर में आयोग सचिव रामनिवास मेहता द्वारा अज्ञात व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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    आयोग सचिव ने अपनी शिकायत में स्पष्ट किया है कि आयोग द्वारा 15 अक्टूबर 2025 को आरएएस परीक्षा 2023 का अंतिम परिणाम जारी कर आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया था।

    डाली गई जाली पोस्ट

    इसके पश्चात, 16 अक्टूबर 2025 को सोशल मीडिया पर किसी समाज कंटक द्वारा एक जाली पोस्ट डाली गई, जिसे आयोग सचिव के अधिकृत हस्ताक्षर से जारी किया जाना दर्शायागया। आयोग सचिव के हवाले से जारी यह पोस्ट पूर्णतया फर्जी है और इस प्रकार का कोई भी दस्तावेज़ या रिकॉर्ड आयोग द्वारा जारी नहीं किया गया है।

    आरोप और कानूनी धाराएं

    शिकायत में कहा गया है कि फर्जी पोस्ट डालने वाले व्यक्ति ने न केवल फर्जी रिकॉर्ड बनाया है, बल्कि ऐसा करके उसने सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और लोक शांति में जानबूझकर विघ्न डालने का प्रयास किया है। इसके अलावा, इस फर्जी पोस्ट ने आयोग और सचिव पद की प्रतिष्ठा एवं ख्याति को भी अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

    प्रकरण में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया हैः-

    • धारा 319(2) - सचिव पदनाम से प्रतिरूपण कर जाली दस्तावेज तैयार किया। इसमें 5 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।
    • धारा 336(2) - जाली दस्तावेज बनाना। 2 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान।
    • धारा 336(4) - इरादतन जालसाजी कर आयोग एवं सचिव पद की प्रतिष्ठा को नुकसान पंहुचाना। 3 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान।
    • धारा 356(2) - शब्द, संकेत, चित्र या लेख के माध्यम से आयोग की प्रतिष्ठा को हानि पंहुचना। 3 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान
    • धारा 352 - लोकशांति भंग करने तथा उकसाने के उद्देश्य से अपमानजनक अफवाह फैलाना। प्रकरण में 2 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।

    पुलिस कार्रवाई

    शिकायत पर पुलिस ने एफआइआर संख्या 0301 24 अक्टूबर 2025 को दर्ज कर लिया है और मामले की जांच चाँद सिंह, सहायक उप निरीक्षक को सौंपी गई है।

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