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    दिल्ली के भारत मंडपम में 'राइजिंग नॉर्थईस्ट समिट 2025' का होगा आगाज, पूर्वोत्तर में निवेश के अपार अवसरों को मिलेगा नया मंच

    Updated: Thu, 22 May 2025 04:24 PM (IST)

    दिल्ली में राइजिंग नॉर्थईस्ट समिट 2025 का आयोजन किया जा रहा है। भारत मंडपम में होने वाले इस दो दिवसीय समिट का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापार और निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। यह समिट निवेशकों को विनिर्माण और सेवा केंद्र के रूप में उत्तर-पूर्वी भारत में अवसरों का पता लगाने का मौका देगा।

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    भारत मंडपम में पूर्वोत्तर के निवेश अवसरों का संगम राइजिंग नॉर्थईस्ट समिट 2025

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में 23 और 24 मई को ‘राइजिंग नॉर्थईस्ट: द इन्वेस्टर्स समिट 2025’ का आयोजन भारत मंडपम में किया जा रहा है। यह दो दिवसीय समिट उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की व्यापारिक और निवेशीय संभावनाओं को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।

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    इस समिट का आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER), फिक्की (FICCI) और इनवेस्ट इंडिया के सहयोग से किया जा रहा है। समिट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। इसका उद्देश्य इस क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति, प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, कुशल कार्यबल और आस-पास के देशों में उपलब्ध बाजार तक पहुंच को उजागर करना है।

    DoNER मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, “पूर्वोत्तर क्षेत्र व्यवसायों के लिए एक उभरता हुआ गंतव्य बन चुका है और यह समिट गठजोड़ों, साझेदारियों और व्यावसायिक विस्तार के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करता है।”

    समिट के माध्यम से निवेशकों को उत्तर-पूर्वी भारत को एक विनिर्माण और सेवा केंद्र के रूप में बदलने की प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, ASEAN और BBN देशों में नए बाजारों तक पहुंचने की योजना बना रहे उद्योगों को इस क्षेत्र में मिलने वाले प्रोत्साहनों और नीतिगत ढांचे की जानकारी भी दी जाएगी।

    समिट से पहले देश के सात प्रमुख शहरों में रोडशो आयोजित किए गए ताकि संभावित निवेशकों को क्षेत्र की संभावनाओं से अवगत कराया जा सके।

    अधिकारी ने कहा, “यह समिट उद्योग जगत के प्रमुख लोगों, नीति निर्धारकों और अन्य हितधारकों के साथ नेटवर्किंग का एक महत्वपूर्ण मंच बनेगी, जिसमें G2B और B2B बैठकों के जरिए कई सहयोगों, विस्तारों और समझौता ज्ञापनों (MoUs) की संभावनाएं हैं।”

    समिट में 2000 से अधिक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि, नीति निर्माता, उद्योगपति, निवेशक, बहुपक्षीय संस्थाएं और स्टार्टअप्स हिस्सा लेंगे। चर्चा के प्रमुख नौ क्षेत्रों में कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, हथकरघा, हस्तशिल्प, खेल, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन, अधोसंरचना, लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा शामिल हैं।

    असम से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल समिट में विशेष उपस्थिति दर्ज कराएगा। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला असम राज्य अपने प्रमुख और उभरते क्षेत्रों में ताकत का प्रदर्शन करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में असम समिट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।

    मुख्यमंत्री डॉ. सरमा ने कहा, “हमारी भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक संसाधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि के कारण असम अवसरों का पावरहाउस बन चुका है। चाय से व्यापार और पर्यटन तक, हम व्यवसाय के लिए असीम संभावनाएं प्रदान करते हैं।”

    पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो ASEAN बाजारों के करीब स्थित है, तेल, गैस, कोयला, खनिज, बांस, औषधीय पौधे, वनों और जल संसाधनों जैसी प्रचुर प्राकृतिक संपदा से समृद्ध है। इसे भारत का ‘ग्रीन हब’ भी कहा जाता है। यहाँ के हरित वन और जैव विविधता इको-टूरिज्म और कृषि-आधारित उद्योगों के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं।

    यह क्षेत्र अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत, अनोखी जनजातीय परंपराओं और हस्तशिल्प के माध्यम से पर्यटन और हस्तशिल्प उद्योगों में भी निवेश के बड़े अवसर प्रस्तुत करता है। भारत सरकार और आठों उत्तर-पूर्वी राज्यों की सरकारें कर छूट, सब्सिडी और अन्य रियायतों के माध्यम से व्यवसाय को बढ़ावा दे रही हैं।

    निवेशकों के लिए एक और बड़ा लाभ यह है कि इस क्षेत्र में श्रम लागत देश के अन्य हिस्सों की तुलना में कम है, साथ ही कार्यबल अंग्रेजी में दक्ष और कुशल है।

    यह सब कुछ नहीं है। क्षेत्र में औद्योगिक पार्क और तकनीकी पार्क के रूप में अधोसंरचना का तेजी से विकास हो रहा है। यहाँ व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण, निम्न अपराध दर, स्थिर राजनीतिक परिस्थिति और सहायक सरकारी नीतियां हैं। इसके साथ ही, यह क्षेत्र एक उभरता हुआ उपभोक्ता बाजार बन रहा है, जहां आय और शहरीकरण में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे व्यवसाय के अपार अवसर उपलब्ध हैं।