Republic Day 2025: सैन्य पराक्रम का रोमांच और सांस्कृतिक धरोहरों के रंग से रंगा कर्तव्य पथ; मन मोह लेंगी ये तस्वीरें
76वें गणतंत्र दिवस परेड में सैन्य ताकत विविधता में एकता की अनमोल सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक-वैज्ञानिक प्रगति की झलकियों ने देश के लोगों का मन मोह लिया। राफेल सुखोई जगुआर मिग जैसे लड़ाकू विमानों के कौशल से कर्तव्य पथ रोमांचित हो गया। तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने परेड की सलामी ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने परेड स्थल पर पहुंचे पीएम मोदी की अगवानी की।

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। कर्तव्य पथ पर देश के 76वें गणतंत्र दिवस परेड पर देश की ताकतवर सैन्य शक्ति और विविधता में एकता की अनमोल सांस्कृतिक विरासत की गौरवशाली आभा के साथ-साथ आर्थिक और वैज्ञानिक प्रगति की झलकियों ने भारतीय गणतंत्र के समग्र कैनवास की तस्वीरें उकेरी।
देश की तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 21 तोपों की सलामी की गूंज के बीच राष्ट्रीय ध्यज तिरंगे को सलामी दी तो कर्तव्य पथ पर फुल बरसाते सेना के हेलीकॉप्टरों ने देश के गणतंत्र को सलामी दी। तिरंगा लहराए जाने के बाद कर्तव्य पथ पर हुए सैन्य परेड में सेना-वायुसेना और नौसेना से लेकर केंद्रीय तथा अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की टुकडि़यों ने परेड के साथ अपनी-अपनी बैंड की राष्ट्रभक्ति की मधुर धुनों से सबको मंत्रमुग्ध किया।
राफेल, सुखोई, जगुआर जैसे वायुसेना के विमानों ने आकाश में अपने हैरतअंगेज करतबों के जरिए दुश्मन को मजबूत संदेश देते हुए राष्ट्र की सीमाओं को जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षित रखने का मजबूत संदेश दिया।
ब्रहृमोस के साथ पहली बार कर्तव्य पथ पर उतरे प्रलय मिसाइल ने दुश्मन का विध्वंस करने की अपनी क्षमताओं को लेकर देश को आश्वस्त किया। गणतंत्र दिवस परेड 2025 के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतों की मौजूदगी में कर्तव्य पथ पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सैन्य सलामी लेने के बाद तमाम मंत्रालयों-विभागों और राज्यों की झांकियों का दीदार किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी समारोह में सिर पर केसरिया व पीले रंग का साफा बांधे कैबिनेट के अपने कई वरिष्ठ सहयोगियों के साथ मौजूद थे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने परेड स्थल पर पहुंचे पीएम मोदी की अगवानी की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा इंडोनेशियाई राष्ट्रपित सुबियांतो राष्ट्रपति की अश्व बग्गी में सवार होकर कर्तव्य पथ पहुंचे जहां पीएम मोदी ने दोनों का स्वागत किया। समारोह में केंद्रीय मंत्रियों, वरिष्ठ सैन्य व असैन्य अधिकारियों, विदेशी राजनयिकों के अलावा बड़ी संख्या में कर्तव्य पथ के दोनों ओर दर्शका मौजूद थे।ठंड के मौसम में सुबह खिली धूप से चमकते कर्तव्य पथ पर भारतीय गणतंत्र के इन विविध रंगों ने सुबियांतो को भी रोमांचित किया।
खास बात यह रही कि कि 1950 में भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस समारोह में भी इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो ही समारोह में मुख्य अतिथि थे। राष्ट्रध्वज फहराए जाने के बाद इस बार संगीत नाटक अकादमी की ओर से विशेष सांस्कृतिक प्रदर्शन 'जयति जया मम: भारतम्'' का प्रदर्शन किया गया। इसमें आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए देश की आदिवासी और लोक शैलियों की समृद्ध विरासत को जीवंत किया गया।
सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के दौरान कर्तव्य पथ पर ब्रह्मोस, पिनाका और आकाश मिसाइलों सहित कुछ अत्याधुनिक रक्षा प्लेटफार्मों का भी प्रदर्शन किया। सेना की युद्ध निगरानी प्रणाली ''संजय'' और डीआरडीओ की सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइल 'प्रलय' पहली बार परेड में दर्शकों से रूबरू हुई। टी-90 'भीष्म' टैंक सारथ, नाग मिसाइल प्रणाली, मल्टी-बैरल रॉकेट-लॉन्चर सिस्टम 'अग्निबाण' और लाइट स्पेशलिस्ट वाहन 'बजरंग' ने भी खूब तालियां बटोरी।
सैन्य परेड का नेतृत्व कर रहे दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार के नेतृत्व में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के दौरान तीनों सेनाओं की संयुक्त झांकी भी निकाली गई, जिसमें तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने पर बढ़ते ध्यान को दर्शाया गया। सैन्य दस्तों के सलामी मार्च में सबसे पहले मेहमान देश इंडोनेशिया की तीनों सेनाओं के संयुक्त दस्ते और बैंड ने अपने चुस्त-दुरूस्त मार्च पास्ट और संगीत से सबका ध्यान ही नहीं खींचा बल्कि तालियां भी बटोरी।
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति तथा उनके साथ आया दल भी कर्तव्य पथ पर भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में अपनी भागीदारी पर बेहद रोमांचित नजर आए। कारगिल युद्ध के दो परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर और मानद कैप्टन योगेंद्र ¨सह यादव (सेवानिवृत्त) और सूबेदार मेजर संजय कुमार (सेवानिवृत्त) तथा अशोक चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल जस राम सिंह (सेवानिवृत्त) भी सलामी मार्च में शामिल हुए। इसके बाद तीनों सेनाओं के अलग-अलग दस्ते और बैंड ने राष्ट्रपति को सलामी दी।
केंद्रीय बलों के जवानों का दस्ता भी इसमें पीछे नहीं रहा। सलामी मार्च के बाद कर्तव्य पथ पर 'स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास' की थीम पर आधारित राज्यों तथा केंद्रीय मंत्रालयों की झांकियों ने संगीत तथा संस्कृति की अपनी धाराओं से सबको लुभाया।
इसके बाद कैप्टन डिंपल सिंह भाटी ने चलती मोटरसाइकिल पर 12 फुट की सीढ़ी पर सवार होकर राष्ट्रपति को सलामी देने वाली पहली महिला सेना अधिकारी का न केवल विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि दर्शकों की सांसें थाम ली।
परेड के आखिर में वायुसेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और विमानों के कौशल अजेय, अमृत, अर्जन, बाज, भीम, ध्वज, रक्षक, सतलज, त्रिशुल, वाजरंग, विजय और वरूणा फार्मेशन ने कर्तव्य पथ के आकाश को भारतीय वायुसेना के रणकौशल का जैसे आईना बना दिया।
सुखोई, राफेल, जुगआर, मिग-29, डोर्नियर आदि विमानों के साथ अपाचे जैसे हेलीकाप्टरों के करतबों को देखते हुए आम ही नहीं सभी खास मेहमान भी भारतीय गणतंत्र के विविध सांस्कृतिक रंग ही नहीं सैन्य पराक्रम की गूंज से रोमांचित हुए बिना नहीं रह सके।
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