Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'एक देश एक चुनाव योजना से शासन में स्थिरता को मिलेगा बढ़ावा', राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

    Updated: Sat, 25 Jan 2025 07:53 PM (IST)

    Republic Day 2025 रविवार को देश में 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्र के नाम अपना संबोध दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा।

    Hero Image
    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने देश के नाम अपना संबोधन दिया। (फोटो- एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 26 जनवरी (रविवार) को पूरा भारत 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्र के नाम अपना संबोधन दिया है।

    उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। इसके अलावा उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बातों को रखा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राष्ट्रपति मुर्मु का राष्ट्र के नाम संबोधन

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्रदिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में शामिल भारत को ज्ञान और विवेक का उद्गम माना जाता था लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा।

    उन्होंने कहा कि आज के दिन सबसे पहले हम उन सूर वीरों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी। इस वर्ष, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं। वे ऐसे अग्रणी स्वाधीनता सेनानियों में शामिल हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में अब समुचित महत्व दिया जा रहा है।

    राष्ट्रपति ने संविधान सभा का किया जिक्र

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के गणतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब हमारी संविधान सभा की संरचना में भी दिखाई देता है। उस सभा में देश के सभी हिस्सों और सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व था। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि संविधान सभा में सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी, हंसाबेन मेहता और मालती चौधरी जैसी 15 असाधारण महिलाएं भी शामिल थीं।

    उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं। ऐसे प्रयासों में इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, और इंडियन एविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।

    एक देश एक चुनाव पर क्या कहा?

    राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने पर सुधारों के लिए दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। एक और उपाय जो सुशासन की शर्तों को फिर से परिभाषित करने का वादा करता है, वह है देश में चुनाव कार्यक्रमों को एक साथ लाने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक। 'एक राष्ट्र एक चुनाव' योजना शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, नीतिगत पक्षाघात को रोक सकती है, संसाधनों के विचलन को कम कर सकती है और वित्तीय बोझ को कम कर सकती है, साथ ही कई अन्य लाभ भी प्रदान कर सकती है।

    महाकुंभ विरासत का परिचय

    उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ हमारा जुड़ाव और अधिक गहरा हुआ है। इस समय आयोजित हो रहे प्रयागराज महाकुंभ को उस समृद्ध विरासत की प्रभावी अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है। हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने तथा उनमें नई ऊर्जा का संचार करने के लिए संस्कृति के क्षेत्र में अनेक उत्साह-जनक प्रयास किए जा रहे हैं।

    यह भी पढ़ें: YSRCP को लगा एक और झटका, विजयसाई रेड्डी ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा; अब तक 4 ने छोड़ा पद

    यह भी पढ़ें: विजय माल्या, नीरव मोदी, राणा... इन पांच भगोड़ों के प्रत्यर्पण में जुटा भारत, लिस्ट तैयार

    comedy show banner
    comedy show banner