MSP पर गेहूं की खरीदारी तोड़ा चार साल का रिकॉर्ड, यूपी-बिहार का आंकड़ा क्या कहता है?
Record Wheat Procurement on MSP इस साल एमएसपी पर गेहूं की खरीदारी ने पिछले चार सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अब तक 293 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद हो चुकी है और सरकार का अनुमान है कि यह आंकड़ा 333 लाख टन तक पहुंच सकता है। पंजाब मध्य प्रदेश और हरियाणा ने सबसे अधिक योगदान दिया है।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस बार गेहूं की खरीदारी ने पिछले चार वर्ष के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। अभी तक 293 लाख टन से अधिक की खरीदारी हो चुकी है। प्रक्रिया अभी भी जारी है। ऐसे में माना जा रहा कि 312 लाख टन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा। खरीद की यह मात्रा वर्ष 2021-22 के बाद से सबसे अधिक है। चार वर्ष पहले 433 लाख टन खरीदारी हुई थी।
खरीद की वर्तमान रफ्तार को देखते हुए सरकार का अनुमान है कि यह मात्रा 333 लाख टन तक पहुंच सकती है। कुछ राज्यों में तो अभी गेहूं की कटाई भी शेष है।
सरकार इस वर्ष किसानों से 2425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीदारी कर रही है। केंद्रीय पूल के लिए इस वर्ष 11 राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद की जा रही है। गेहूं के बफर स्टॉक को समृद्ध करने में सबसे ज्यादा पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा का योगदान है।
सबसे ज्यादा गेहूं किन राज्यों से आता है?
राष्ट्रीय स्तर पर कुल खरीदारी का लगभग 70 प्रतिशत इन्हीं दोनों राज्यों से पूरा होता है। हैरानी की बात यह है कि इस बार मध्य प्रदेश ने 77.70 लाख टन की खरीदारी कर हरियाणा को तीसरे नंबर पर धकेल दिया है। खुद दूसरे स्थान पर कब्जा जमा लिया है। राजस्थान में भी अभी तक 16.15 लाख टन की खरीदारी हो चुकी है।
यूपी और बिहार का आंकड़ा क्या कहता है?
मध्य प्रदेश में एमएसपी पर गेहूं खरीदारी की प्रक्रिया संपन्न हो गई है, लेकिन अन्य राज्यों में अभी भी यह जारी है। उत्तर प्रदेश एवं बिहार जैसे राज्य ने भी पहले के आंकड़े को पार कर लिया है।
दोनों राज्य गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। फिर भी यहां ज्यादा खरीदारी नहीं हो पाती है। प्रत्येक वर्ष निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे रह जाता है।
इसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल एवं गुजरात में भी खरीदारी हुई है, लेकिन मात्रा बहुत कम है। गेहूं के पांच प्रमुख उत्पादक राज्यों में अब तक की खरीदारी की मात्रा पिछले साल की सामान अवधि की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत ज्यादा है।
बफर स्टॉक भी उच्चतम शिखर पर
देश में अभी चावल और गेहूं का बफर स्टॉक मानक से भी बहुत ज्यादा है। स्टॉक में अभी गेहूं 382.32 लाख टन है, जबकि इसका बफर मानक 276 लाख टन है। इसी तरह स्टाक में चावल अभी 356.42 लाख टन है, जबकि बफर मानक सिर्फ 135 लाख टन है।
इतनी मात्रा में खरीदारी के बाद माना जा रहा है कि बफर स्टाक समृद्ध हो जाएगी और केंद्र सरकार को गरीब कल्याण योजना के लिए पर्याप्त मात्रा में अनाज की उपलब्धता रहेगी। इससे राष्ट्रव्यापी खाद्य सुरक्षा को संबल मिलेगा और महंगाई भी नियंत्रण में रहेगी।
चालू वर्ष में अभी तक गेहूं खरीदारी![]()
वर्षवार खरीदारी
- 2021-22 - 433.00 लाख टन
- 2022-23 - 188.00 लाख टन
- 2023-24 - 262.02 लाख टन
- 2024-25 - 266.00 लाख टन
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