बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में आई कमी, लेकिन स्कैम की राशि में काफी इजाफा; RBI की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
आरबीआई की 'ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2024-25' रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों की संख्या घटी है, लेकि ...और पढ़ें

फ्रॉड की संख्या 18,386 से घट कर 5,092 रह गई है
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकिंग फ्रॉड की संख्या तो घटी है लेकिन इनमें संलिप्त राशि में वृद्धि हुई है। सोमवार को आरबीआई की तरफ से जारी 'ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2024-25' रिपोर्ट में बैंकिंग सेक्टर में फ्रॉड की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई गई है। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में फ्रॉड से जुड़ी राशि पिछले साल की समान अवधि के 16,659 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 21,367 करोड़ रुपये हो गई।
जबकि इस दौरान फ्रॉड की संख्या 18,386 से घट कर 5,092 रह गई है। रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्टिंग की तारीख के आधार पर वित्त वर्ष 2024-25 में कुल फ्रॉड मामलों की संख्या 23,879 रही, जिसमें शामिल राशि 34,771 करोड़ रुपये थी। आरबीआई का तर्क है कि यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के फैसले के अनुपालन में पुराने मामलों की दोबारा रिपोर्टिंग से हुई है।
फ्रॉड राशि में तीन गुना से अधिक वृद्धि
अगर हम 2024-25 की तुलना इसके पिछले वित्त वर्ष से करें तो फ्रॉड राशि में तीन गुना से अधिक वृद्धि दिखती है। विशेष रूप से, एडवांस (ऋण) से जुड़े फ्रॉड में राशि 31,911 रुपये करोड़ तक पहुंच गई, जो कुल का बड़ा हिस्सा है। रिपोर्ट के अनुसार, 'फ्रॉड बैंकिंग संस्थानों को प्रतिष्ठा, परिचालन और व्यावसायिक जोखिमों के साथ-साथ ग्राहक विश्वास को कमजोर करते हैं।' बैंकिंग धोखाधड़ी की घटनाओं की तारीख के आधार पर कार्ड/इंटरनेट के जरिए होने वाले फ्रॉड की हिस्सेदारी संख्या में 66.8 फीसद रही, जबकि राशि के लिहाज से एडवांस (ऋण) से जुड़े फ्रॉड की हिस्सेदारी 33.1 फीसद बताई गई है।
निजी बैंकों के कुल मामलों का 59.3 फीसद रिपोर्ट किया, जबकि पब्लिक सेक्टर बैंक में शामिल राशि का 70.7 फीसद हिस्सा रहा। कार्ड/इंटरनेट से जुड़े फ्रॉड ज्यादातर निजी बैंकों में हुई है जबकि सरकारी बैंकों में अग्रिम से जुड़े फ्राड ज्यादा हुए हैं। वैसे पिछले साल के मुकाबले कार्ड व इंटरनेट फ्रॉड की हिस्सेदारी हर तरह के बैंकों में घटी है। आरबीआई की तरफ से इस रिपोर्ट में एक और विशेष जानकारी दी गई है जो बताता है कि धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ किस तरह से कार्रवाई की जा रही है।
एआई से पहचाने जा रहे म्यूल अकाउंट
खास तौर पर म्यूल अकाउंट (किसी दूसरे ग्राहकों के पुराने या बंद पड़े खातों का इस्तेमाल करना) पर रोक लगाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (एआई) आधारित विशेष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है। इसे म्यूलहंटर डॉट एआई का नाम दिया गया है जिसे आरबीआई की सब्सिडियरी रिजर्व बैंक इनोवेशन हब ने बनाया है। यह म्यूल अकाउंट्स को तेजी से पहचानता है। इसे 17 दिसंबर 2025 को ही एक साथ 23 बैंकों में लागू किया गया है। ये कदम फ्रॉड को पहले से रोकने में मदद करेंगे।
रिपोर्ट में इस बात को इस साल भी दोहराया गया है कि देश के बैंकों की वित्तीय स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है। मार्च, 2025 के अंत तक बैंकिग सेक्टर का सकल फंसे कर्जे (ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स-जीएनपीए) का अनुपात पिछले कई दशकों के सबसे न्यूनतम स्तर 2.2 फीसद पर पहुंच गया गया। जबकि शुद्ध एनपीए का स्तर 0.5 फीसद पर आ गया है। एक तरह से भारतीयों बैंकों का मुनाफा बढ़ा है, इनकी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता मे सुधार हुआ है और इनकी तरफ से वितरित कर्ज की रफ्तार लगातार तेज बना कर रखी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 'मजबूत बैंकिंग सेक्टर इकोनॉमी के आधारभूत जोखिमों के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करते है।' वैसे वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़ा है लेकिन इसकी रफ्तार कुछ धीमी ही है। सभी वाणिज्यिक बैंकों का संयुक्त नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 14.8 प्रतिशत बढ़कर 4.01 लाख करोड़ रुपये का हो गया है। ये आंकड़े भारतीय बैंकिंग की मजबूती को रेखांकित करते हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।

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