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14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे, केंद्र सरकार जल्द बनाएगी कॉरिडोर

Lord ram exile क्या आपको ये पता है कि भगवान राम सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान कहां-कहां रुके थे। केंद्र सरकार ने 17 ऐसे जगहों का पता लगया है जिन्हें कॉरिडोर के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

By Nidhi AvinashEdited By: Published: Tue, 08 Nov 2022 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 08 Nov 2022 12:26 PM (IST)
14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे, केंद्र सरकार जल्द बनाएगी कॉरिडोर
14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। राम की नगरी अयोध्या की दीपावली के बाद शिव की काशी में भव्य देव दीपावली मनाई गई। मान्‍यता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं और धार्मिक नगरी काशी में दीपावली पर्व मनाते हैं और यही कारण है कि इस देव दीपावली कहा जाता है। ऐसे ही जब भगवान राम अपना 14 साल का वनवास काटकर आयोध्या पहुंचे थे, तो पूरे अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

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भगवान राम 14 सालों के वनवास में यहां ठहरे थे

भगवान शिव की नगरी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मिला उसी तरह आयोध्या में भी राम जन्मभूमि कॉरिडोर भी जल्द तैयार होने वाला है। बता दें कि आयोध्या में गर्भ गृह दिसंबर 2023 तक बन जाने का प्रस्ताव है। इसके बाद भक्त अपने रामलला का दर्शन भव्य राम मंदिर में कर पाएंगे। लेकिन क्या आपको ये पता है कि आयोध्या में राम जन्मभूमि कॉरिडोर के अलावा केंद्र सरकार जल्द ही 17 बड़े स्मारकों को कॉरिडोर के तौर पर विकसित करने वाली है।

इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा ऐसे स्थानों का पता लगया है जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे। इन जगहों को भी जल्द कॉरिडोर के रूप में विकसित कर दिया जाएगा।

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देश में तैयार होंगे 17 और कॉरिडोर

उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर, आयोध्या का राम जन्म भूमि कॉरिडोर और बनारस का विश्वनाथ कॉरिडोर के अलावा देश में जल्द ही 17 ऐसे ही कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे जो भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के 14 साल के ठहरने का इतिहास बताएगा। तो आइये जान लेते हैं इन जगहों के बारे में जहां भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ ठहरे थे।

  • तमसा नदी- ये वो नदी है जिसे भगवान राम ने नाव के जरिए पार की थी। ये जगह आयोध्या से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • श्रृंगवेरपुर तीर्थ- श्रीराम ने इस जगह पर केवट से गंगा पार कराने को कहा था। इस जगह को अब सिंगरौर कहा जाता है और रामायण में भी इस जगह का उल्लेख किया गया है। इस जगह का वर्णन रामायण में निशादराज के राज्य की राजधानी के रूप में किया गया। बता दें कि ये जगह प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर स्ठित है।
  • कुरई- श्रृंगवेरपुर तीर्थ में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में ही रुके थे।
  • प्रयाग- कुरई में रुकने के बाद श्रीराम प्रयाग पहुंचे थे।
  • चित्रकूट- प्रयाग के बाद भगवान राम चित्रकूट पहुंचे थे। ये मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। ये वहीं जगह है जहां भरत, श्रीराम से मिलने आए थे और उन्हें वापस आयोध्या चलने को कहा था। भगवान राम की तपोभूमि कहें जाने वाले चित्रकूट में राम जी ने वनवास काल के दौरान अपने पिता दशरथ का एक घाट पर पिंडदान किया था।
  • सतना- अत्रि ऋषि के आश्रम में राम जी ने कुछ समय बिताए थे।
  • दंडकारण्य- चित्रकूट से निकलने के बाद श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे। यहां श्रीराम ने वनवास के 10 साल व्यतीत किए।
  • पंचवटी नासिक- ये वो जगह है जहां लक्ष्मण ने लंकेश रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी।
  • सर्वतीर्थ-सर्वतीर्थ नासिक क्षेत्र में आता है और ये वहीं जगह है जहां रावण ने सीता का हरण किया था।
  • पर्णशाला- ये आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है।
  • तुंगभद्रा- तुंगभद्रा के अनेक स्थलों पर श्रीराम अपनी पत्नी सीताजी की खोज में निकले थे।
  • शबरी आश्रम- रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे। ये कर्नाटक में स्थित है।
  • ऋष्यमूक पर्वत- सीता की खोज में जब श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत की तरफ जब बढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई थी।
  • कोडीकरई- ये वो जगह है जहां राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ कूच किया था।
  • रामेश्वरम- रावण का वध करने से पहले यहां भगवान राम ने शिव जी की पूजा की थी। रामेश्वरम में श्रीराम ने शिवलिंग भी स्थापित किया था।
  • धनुषकोडी से रामसेतु- श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे। यहां रामसेतू का निर्माण किया गया था।
  • नुवारा एलिया पर्वत- श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे। श्रीलंका में इस पर्वत पर ही रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं।

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