'दूध की रखवाली के लिए बिल्ली को रखा गया', UN के किस फैसले पर भड़के राजनाथ सिंह; पाकिस्तान को सुनाई खरी खरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को विदेशी फंडिंग रोकने का आग्रह किया है ताकि आतंकवाद को बढ़ावा न मिले। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधी पैनल का उपाध्यक्ष नियुक्त करने पर आश्चर्य जताया। राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का जनक है और उसकी धरती आतंकी संगठनों की शरणस्थली बन रही है।

पीटीआई, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को विदेशी फंडिंग रोकने का आग्रह किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह आतंकवाद का एक ऐसा पौधा है जिसे बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधी पैनल का उपाध्यक्ष नियुक्त करने के फैसले पर भी आश्चर्य व्यक्त किया।
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह एक विरोधाभास है कि भारत और पाकिस्तान ने एक ही समय में स्वतंत्रता प्राप्त की। आज भारत को लोकतंत्र की जननी के रूप में मान्यता दी गई है। वहीं, पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद के जनक के तौर पर जाना जा रहा है।
रक्षामंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले पर जताया एतराज
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधी समिति का उपाध्यक्ष नामित करने के फैसले पर हैरानी जताई। राजनाथ सिंह ने कहा कि ये फैसला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की गंभीरता पर भी सवाल उठाता है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि आतंकवाद निरोधक पैनल का गठन 9/11 के आतंकी हमलों के बाद किया गया था। पाकिस्तान ने 9/11 के हमलों के मास्टरमाइंड को पनाह दी थी। यह (फैसला) बिल्ली के दूध की रखवाली करने जैसा है
'आतंकी संगठनों की शरणस्थली बन रहा पाकिस्तान'
राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल वैश्विक आतंकी संगठनों की शरणस्थली के रूप में किया जाता रहा है। आगे कहा कि हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी खुलेआम घूमते हैं और पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं। अब उसी देश से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समुदाय का नेतृत्व करने की उम्मीद की जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की मंशा पर उठे सवाल
राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की मंशा और नीतियों पर गंभीर सवाल उठते हैं।राजनाथ सिंह ने वैश्विक समुदाय और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों से आतंकवाद जैसे मुद्दों पर अधिक गंभीरता से विचार करने का आह्वान करते हुए कहा कि जब हम आतंकवाद से मुक्त होंगे, तभी हम वैश्विक शांति, प्रगति और समृद्धि के लक्ष्य की ओर बढ़ पाएंगे।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आम लोगों का भी यही विचार है, लेकिन वहां के शासकों ने देश को विनाश के रास्ते पर डाल दिया है। राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को दी गई अपनी पुरानी सलाह को याद किया। अगर वह अपनी धरती पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ है तो भारत की मदद ले।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल सीमा के दोनों ओर आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम हैं, जिसका सबूत पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुद देखा था। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले को न केवल भारतीय लोगों पर हमला बताया, बल्कि भारत की सामाजिक एकता पर भी हमला बताया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने पहलगाम में लोगों को उनका धर्म पूछकर मारा, लेकिन हमने उनका धर्म नहीं पूछा, बल्कि उन्हें देखकर जवाब दिया।
'राष्ट्रीय सुरक्षा के घेरे को केंद्र सरकार ने किया मजबूत'
रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के घेरे को मजबूत किया है। मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हर मुद्दे के प्रति दृष्टिकोण और कार्रवाई के तरीके को बदलकर भारत के सुरक्षा तंत्र को बदल दिया है, और दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस बदलाव को देखा है।
'जल्द ही भारत से जुड़ेगा पीओके'
रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के तममा प्रयासों के बावजूद, वह कश्मीर में विकास को रोकने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक जम्मू और कश्मीर में प्रगति के लिए सरकार के अथक प्रयास का एक शानदार उदाहरण है। जल्द ही, पीओके हमारे साथ जुड़ जाएगा और कहेगा 'मैं भी भारत हूं'।
इसके अलावा रक्षामंत्री ने आतंकवाद को "मानवता के लिए अभिशाप" और एक महामारी बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने ऐसे उदाहरणों का भी हवाला दिया जहां आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महिमामंडित किया जाता है, और कहा कि आतंकवाद के गर्भ से कोई क्रांति पैदा नहीं होती है, यह केवल विनाश और घृणा को जन्म देता है।
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