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    'टैंकों में गुजारी रातें और शहीदों की यादें', 1965 युद्ध के जांबाजों से मिलकर और क्या बोले राजनाथ सिंह?

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 04:56 PM (IST)

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 की जंग के जांबाजों से मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने मुश्किलों को अपनी तकदीर नहीं माना। राजनाथ सिंह ने सिपाहियों की बहादुरी को सराहा और कहा कि उनकी शहादत ने देश की शान को बुलंद रखा। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को भी याद किया।

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    कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को 1965 की जंग के जांबाजों से मुलाकात में ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिम्मत को सलाम किया। उन्होंने कहा कि भारत ने पड़ोसियों से मिली मुश्किलों को कभी अपनी किस्मत नहीं माना, बल्कि अपनी तकदीर खुद बनाई। 1965 की जंग हो या हाल का ऑपरेशन सिंदूर, भारत ने हर बार दुश्मनों को करारा जवाब दिया।

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    राजनाथ सिंह ने जांबाज सिपाहियों की बहादुरी को सराहा और कहा कि उनकी शहादत ने देश की शान को बुलंद रखा। उन्होंने कहा, "1965 में आपने जो जज्बा दिखाया, वो बेमिसाल है। देश की इज्जत की खातिर आपने सब कुछ दांव पर लगा दिया। मैं पूरे देश की तरफ से आपको सलाम करता हूं।"

    जंग के जांबाजों की यादें

    रक्षा मंत्री ने कहा कि 1965 की जंग की कहानियां किताबों में पूरी तरह दर्ज नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा, "जब आज नांबियार साहब और बेदी साहब ने अपनी बातें साझा कीं, तो लगा कि किताबों में बहुत कुछ छूट गया। टैंकों में गुजारी रातें, शहीदों की यादें ये सब आप जांबाजों के दिल में जिंदा हैं। उनकी शहादत कभी बेकार नहीं जाएगी।"

    उन्होंने परम वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की बहादुरी को याद करते हुए कहा, "अब्दुल हमीद ने दिखाया कि जंग हथियारों से नहीं, दिल के जज्बे से जीती जाती है। उन्होंने दुश्मन के टैंकों की कतार को तबाह कर दिया। 1965 की जंग में दुनिया का सबसे बड़ा टैंक युद्ध हुआ, जिसमें भारत ने अपनी ताकत दिखाई।"

    शास्त्री जी का हौसला, देश की जीत

    राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, “शास्त्री जी ने न सिर्फ जंग में अहम फैसले लिए, बल्कि पूरे देश को रास्ता दिखाया। जंग सिर्फ मैदान में नहीं, बल्कि पूरे देश के जज्बे से जीती जाती है।”

    लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने भी 1965 की जंग में वेस्टर्न कमांड की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा, “लद्दाख से राजस्थान तक हमारी फौज ने दुश्मन को धूल चटाई। ऑपरेशन जिब्राल्टर में पाकिस्तान की घुसपैठ को नाकाम किया गया। हमने लाहौर और सियालकोट की ओर बढ़कर दुश्मन को करारा जवाब दिया।”

    कटियार ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा, “1962 की जंग के सिर्फ तीन साल बाद 1965 में जीत ने देश का हौसला बढ़ाया। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में भी हमने दुश्मन को करारी शिकस्त दी।” 1965 की जंग 6 सितंबर को शुरू हुई थी और 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते के साथ खत्म हुई। राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत की एकता और अखंडता से कोई समझौता नहीं होगा। हमारी फौज और देश का जज्बा हर चुनौती को मात देगा।”

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