'दिल दहलाने वाली घटना', झालावाड़ हादसे पर हाईकोर्ट सख्त; केंद्र और राज्य सरकारों से मांगी रिपोर्ट
राजस्थान के झालावाड़ में एक स्कूल हादसे पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने स्कूलों की खस्ता हालत पर हैरानी जताते हुए कहा कि शिक्षा पर बजट का 6% खर्च करने के बावजूद संस्थानों की बदहाली चिंताजनक है। कोर्ट ने स्कूलों की इमारतों का सर्वे कराने और ऑनलाइन पोर्टल बनाने के आदेश दिए हैं।

डिजिटल डेस्क, जोधपुर। राजस्थान के झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे पर हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस अनूप आनंद की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए स्कूल हादसे को दिल दहलाने वाला हादसा करार दिया है।
राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूलों की खस्ता हालत पर हैरानी जताई है। हाईकोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार अपने बजट का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा को देती है। इसके बावजूद राज्य में शिक्षण संस्थान की बदहाली चिंताजनक है।
हाईकोर्ट ने कहा-
इतना पैसा खर्च करने के बावजूद स्कूली इन्फ्रास्ट्रक्चर जर्जर अवस्था में हैं।
हाईकोर्ट ने दिखाए आंकड़े
हाल के एक सर्वे का हवाला देते हुए अदालत ने कहा 12 राज्यों की 22 प्रतिशत इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। 12 राज्यों की इस फेहरिस्त में राजस्थान का भी नाम शामिल है। अकेले राजस्थान में ही 32 प्रतिशत स्कूलों में बिजली नहीं है, 9 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी का अभाव है और 9 प्रतिशत स्कूलों में लड़कों के लिए टॉयलेट उपलब्ध नहीं है।
5 प्वाइंट सॉल्यूशन
राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को कई बड़े आदेश दिए हैं।
- सभी स्कूलों की इमारतों का सर्वे करवाया जाए।
- ऑनलाइन और जिला स्तर पर ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जाए, जहां माता-पिता और बच्चे स्कूलों की तस्वीकें और वीडियो अपलोड कर सकें
- सिर्फ सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट स्कूल भी इस मुहिम में शामिल होंगे।
- पोर्टल पर की गई शिकायतों के निवारण के लिए एक प्लटफॉर्म बनाया जाए।
- स्कूलों के पुनर्निर्माण के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। भविष्य में अगर ऐसा कोई हादसा होता है, तो कॉन्ट्रैक्टर की जिम्मेदारी होगी और सारा पैसा उससे ही वसूला जाएगा।
स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत
बता दें कि राजस्थान के झालावाड़ में अचानक एक स्कूल की दीवार ढह गई थी, जिसमें 7 बच्चों की जान चली गई। विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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