विधवा, तलाकशुदा और दिव्यांग... राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए बनवाए फर्जी सर्टिफिकेट, 3 निलंबित
राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए महिलाओं ने विधवा और तलाकशुदा होने के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए, जबकि युवाओं ने दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाए। जांच में 336 कर्मचारी फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के साथ पाए गए। 35 महिलाओं ने विधवा और तलाकशुदा कोटे में नौकरी पाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए। सरकार इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने की तैयारी कर रही है।

राजस्थान में फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर पाई सरकारी नौकरी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में सरकारी नौकरी पाने के लिए महिलाओं ने जहां फर्जी विधवा और तलाकशुदा होने के प्रमाण पत्र बनवाए। वहीं युवाओं ने चिकित्सकों से मिलीभगत कर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा लिए। कई महिलाएं तो ऐसी भी हैं, जिन्होंने बिना विवाह के ही खुद को विधवा बताकर फर्जी प्रमाण पत्र बनवा लिया।
राज्य सरकार ने पिछले पांच साल में दिव्यांग, विधवा और तलाकशुदा कोटे में शामिल हुए सरकारी कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच शुरू की तो पांच विभागों में 336 सरकारी कर्मचारी ऐसे मिले हैं, जिन्होंने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की है। इनमें भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की पुत्री भी शामिल है। फर्जी तलाकशुदा और विधवा कोटे में सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए 35 महिलाओं ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए हैं। अब राज्य सरकार इन कर्मचारियों को बर्खास्त करने की तैयारी कर रही है।
कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष ने क्या कहा?
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने कहा, एसओजी और बोर्ड की जांच निरंतर जारी है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। पिछले एक सप्ताह में मुख्य सचिव सुधांश पंत और पुलिस महानिदेशक राजीव शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी के मामले में एसओजी, कार्मिक सहित आधा दर्जन प्रमुख विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की है। बता दें कि प्रदेश में दिव्यांग, विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को सरकारी नौकरी में चार फीसदी आरक्षण का प्रविधान है।
फर्जी प्रमाणपत्र देने के मामले में तीन निलंबित, कई को नोटिस
पिछले पांच साल में राज्य सरकार के चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस, राजस्व, पंचायती राज सहित कई सरकारी विभागों में हुई भर्तियों में फर्जीवाड़ा हुआ है। एसओजी की जांच में सामने आया कि स्वस्थ लोगों ने सरकारी नौकरी में चार फीसदी आरक्षण का लाभ लेने के लिए सरकारी चिकित्सकों से मिलीभगत कर के खुद को 40 प्रतिशत या इससे अधिक दिव्यांग बताकर प्रमाण पत्र बनवा लिए। अब चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़ ने फर्जी प्रमाण पत्र देने वाले आधा दर्जन जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है।
पांच विभागों में भर्ती हुए युवाओं के प्रमाण पत्रों की जांच के समय 336 दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। इनमें भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत की पुत्री कंचन शामिल है। कंचन ने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर पहले तहसीलदार की नौकरी हासिल की और फिर राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बन गई। शिकायत पर चिकित्सा बोर्ड ने जांच की तो वह आठ प्रतिशत बधिर मिली।
इसी तरह नर्सिंगकर्मी, सिपाही और शिक्षक बनने वाली 35 ऐसी महिलाओं की जानकारी जांच में मिली है, जिन्होंने फर्जी तलाकशुदा या विधवा प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हासिल की है। जांच के दौरान एक ऐसी महिला मिली जिसने फर्जी प्रमाण पत्र से 20 साल पहले शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की थी। पिछले माह उसे गिरफ्तार किया लिया गया। फर्जी प्रमाण पत्र देने वाले तीन अधिकारियों को अब तक निलंबित किया गया है। जबकि कई अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया गया है।

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