Cow Cess: यहां शराब पर लगता है 20% 'गौ-उपकर', बीयर का बिल सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
जोधपुर के एक बार में बीयर के बिल पर गौ-उपकर के रूप में 20% अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है। यह शुल्क 2018 से शराब की बिक्री पर लागू है जिसे गौशालाओं के समर्थन के लिए लगाया गया है। होटल प्रबंधन के अनुसार वैट पर 20% गौ उपकर लगाया जाता है जिसे सरकारी पोर्टल पर जमा किया जाता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जोधपुर के एक बार में बीयर के बिल पर वैट पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है। यह अतिरिक्त शुल्क, 'गौ-उपकर' के रूप में वसूली गई थी। राजस्थान ने गायों और गौशालाओं के समर्थन के लिए 'गौ-कर' लगाया गया है। बीयर के बिल की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
बिल में दिखाया गया है कि ग्राहक ने 30 सितंबर को जोधपुर के पार्क प्लाजा स्थित जेफ्रीज बार में कॉर्न फ्रिटर्स और छह बियर का ऑर्डर दिया था। ऑर्डर की कुल कीमत 2,650 रुपये थी, और जीएसटी, वैट और 20% गौ उपकर के बाद, कुल बिल राशि 3,262 रुपये थी।
वायरल बिल ने कई यूजर्स को इस कदम के पीछे के तर्क पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन सरकार और होटल अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यह उपकर 2018 में लागू किया गया था और तब से शराब की बिक्री पर लगाया जा रहा है।
पार्क प्लाजा ने क्या कहा?
होटल के प्रबंधक निखिल प्रेम ने एनडीटीवी को बताया कि 'गौ उपकर' कोई नया कर नहीं है। वे 2018 से शराब की बिक्री पर उपकर वसूल रहे हैं और उसे गौ संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ऑनलाइन जमा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह सरकारी नोटिफिकेशन द्वारा 2018 से लागू है। हर बार जब हम 20% वैट वसूलते हैं, तो हम वैट राशि पर 20% गौ उपकर भी लगाते हैं, जो इस मामले में लगभग 24% होगा। यह केवल बीयर और शराब के लिए है। ज्यादातर होटल इसे केवल सरचार्ज कहते हैं, लेकिन हम इसे गौ उपकर कहते हैं। हम इस राशि को सरकारी पोर्टल पर गौ संरक्षण एवं संवर्धन उपकर के रूप में जमा करते हैं।
प्रेम ने आगे कहा कि यह उपकर केवल शराब की बिक्री पर लगने वाले वैट पर लगाया जाता है। खाद्य पदार्थों पर वैट नहीं, बल्कि जीएसटी लगता है।
वैट और सरचार्ज
राजस्थान के वित्त सचिव (राजस्व) कुमार पाल गौतम ने बताया कि जब भी किसी बिल पर वैट लगाया जाता है, तो गौ उपकर एक सरचार्ज के रूप में लगाया जाता है।
जब कोई ग्राहक टेबल पर शराब ऑर्डर करता है, तो उसकी कीमत आमतौर पर एमआरपी से अधिक होती है और इस प्रकार इसे वैट माना जाता है। इस पर सरचार्ज लगता है और ग्राहक को अधिक भुगतान करना पड़ता है। इस सरचार्ज को राजस्थान में 'गौ उपकर' कहा जाता है।
वित्त सचिव ने आगे कहा, "यदि कोई रेस्टोरेंट या बार शराब की एक बोतल के लिए अतिरिक्त शुल्क लेता है, तो उन्हें वैट देना होगा क्योंकि शराब की बिक्री में वैट होता है, और इसके साथ ही गौ उपकर भी लगता है।"
2018 में लागू हुआ गौ-उपकर
22 जून, 2018 को, तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने राजस्थान मूल्य वर्धित कर अधिनियम, 2003 के तहत डीलरों द्वारा बेची जाने वाली विदेशी शराब, भारत में निर्मित विदेशी शराब, देशी शराब और बीयर पर 20% सरचार्ज लगाया था। यह सरचार्ज गौ संरक्षण और सुरक्षा कोष में जमा किया जाता है।
इससे पहले, राजे के कार्यकाल में यह सरचार्ज 10% था। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 2018 में गौशालाओं को सहायता प्रदान करने और गौ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इसे शराब पर भी लागू कर दिया था। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भी इस उपकर को जारी रखा।
गायों के लिए सब्सिडी पर 2000 करोड़ का खर्च
राजस्थान सरकार गायों के लिए अनुदान और सब्सिडी पर 2000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करती है, जिसमें से 600 करोड़ रुपये से अधिक गौशालाओं के लिए जाते हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गौ संरक्षण के लिए पूरा कोष गौ उपकर से पूरा नहीं होता, बल्कि इसके लिए सरकारी अनुदान और व्यय की भी आवश्यकता होती है।
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