'जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिया'; मंच पर उद्धव के सामने राज ठाकरे ने क्यों कही ये बात?
महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन महत्वपूर्ण है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे जो चचेरे भाई हैं लंबे समय बाद एक साथ मंच पर आए और गले मिले। इस घटनाक्रम को महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इस दौरान हजारों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है। लंबे समय के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे आखिरकार साथ आ गए। दोनों चचेरे भाइयों ने एक साथ मंच साझा किया और साथ ही गले भी मिले।
दोनों भाई मुंबई के वर्ली में मराठी विजय दिवस मनाने के लिए मंच साझा किया। हालांकि, इस मिलन को सियासी पंडित महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत बता रहे हैं।
#WATCH | Mumbai: Brothers, Uddhav Thackeray and Raj Thackeray share a hug as Shiv Sena (UBT) and Maharashtra Navnirman Sena (MNS) are holding a joint rally as the Maharashtra government scrapped two GRs to introduce Hindi as the third language.
— ANI (@ANI) July 5, 2025
(Source: Shiv Sena-UBT) pic.twitter.com/nSRrZV2cHT
इस मुलाकात के लिए राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित ठाकरे और बेटी उर्वशी के साथ पहुंचे थे। उद्धव ठाकरे भी अपने परिवार के साथ पहुंचे, जिसमें उनकी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य और तेजस साथ रहे।
इस दौरान राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं, जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया। हम दोनों को साथ लाने का काम।"
Mumbai: Maharashtra Navnirman Sena (MNS) Raj Thackeray says, "Minister Dada Bhuse came to me and requested me to listen to his point, I told him that I will listen to you but won’t be convinced. I asked him what the third language would be for Uttar Pradesh, Bihar, and Rajasthan.… pic.twitter.com/GeQ4ge0aru
— ANI (@ANI) July 5, 2025
राज ठाकरे ने कहा, "मंत्री दादा भुसे मेरे पास आए और मुझसे उनकी बात सुनने का अनुरोध किया। मैंने उनसे कहा कि मैं आपकी बात सुनूंगा लेकिन राजी नहीं होऊंगा। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के लिए तीसरी भाषा क्या होगी। सभी हिंदी भाषी राज्य हमसे पीछे हैं और हम सभी हिंदी भाषी राज्यों से आगे हैं, फिर भी हमें हिंदी सीखने के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्यों?"
राज ठाकरे ने कहा, "मुझे हिंदी से कोई शिकायत नहीं है, कोई भी भाषा बुरी नहीं होती। भाषा को बनाने में बहुत मेहनत लगती है। मराठा साम्राज्य के दौरान हम मराठी लोगों ने कई राज्यों पर राज किया, लेकिन हमने उन हिस्सों पर मराठी कभी नहीं थोपी। उन्होंने हम पर हिंदी थोपने का प्रयोग शुरू किया और यह परखने की कोशिश की कि अगर हम इसका विरोध नहीं करेंगे तो वे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देंगे।"
उन्होंने कहा, "वे कहते हैं कि हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़े हैं। तो क्या हुआ? दादा भुसे मराठी स्कूलों में पढ़े और मंत्री बने। देवेंद्र फड़नवीस अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़े और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। तो क्या हुआ?"
राज ठाकरे ने कहा, "मैं आपको बता दूं कि मैंने मराठी स्कूल में पढ़ाई की है, लेकिन मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे और चाचा बालासाहेब ठाकरे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़े थे। क्या कोई उनके मराठी प्रेम पर सवाल उठा सकता है? कल मैं हिब्रू भी सीखूंगा। क्या कोई मेरे मराठी गर्व पर सवाल उठाएगा?"
Mumbai: Shiv Sena (UBT) Chief Uddhav Thackeray says, "We have come together to stay together"
— ANI (@ANI) July 5, 2025
Uddhav Thackeray faction (UBT) and Maharashtra Navnirman Sena (MNS) are holding a joint rally at Worli Dome in Mumbai, after the Maharashtra government scrapped two GRs to introduce… pic.twitter.com/h9X4gs5VTg
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं।" बता दें, महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने मुंबई के वर्ली डोम में एक संयुक्त रैली की।
उद्धव ठाकरे ने कहा, "आप पहले ही हमारा काफी इस्तेमाल कर चुके हैं। अगर आपको बालासाहेब ठाकरे का समर्थन नहीं मिला होता, तो महाराष्ट्र में आपको कौन जानता था। आप हमें हिंदुत्व के बारे में सिखाने वाले कौन होते हैं? जब मुंबई में दंगे हो रहे थे, तब हम मराठी लोगों ने महाराष्ट्र के हर हिंदू को बचाया था, चाहे वह कोई भी हो। अगर आप मराठी लोगों को 'गुंडा' कह रहे हैं जो अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, न्याय मांग रहे हैं। तो हां, हम 'गुंडा' हैं।
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