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    34 हजार किमी रेल ट्रैक को 'सुरक्षा कवच' देगा रेलवे, आमने-सामने की भिड़ंत के खतरे से निपटने में मिलेगी मदद

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 19 Feb 2023 09:33 PM (IST)

    रेल मंत्रालय की तैयारी देश के सभी बड़े और व्यस्त रूटों के रेल ट्रैक को सुरक्षा कवच देने की है ताकि सफर को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जा सके। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन चालक के साथ पिछले वर्ष सिकंदराबाद में कवच सिस्टम का परीक्षण किया था।

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    34 हजार किमी रेल ट्रैक को सुरक्षा कवच देगा रेलवे।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेल मंत्रालय की तैयारी देश के सभी बड़े और व्यस्त रूटों के रेल ट्रैक को सुरक्षा कवच देने की है, ताकि सफर को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जा सके। अभी देश में तीन हजार किमी रेल पटरी को किसी प्रकार की अनहोनी से बचाए रखने के लिए काम किया जा रहा है। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत जल्द ही इसमें वृद्धि कर 34 हजार किमी कर दिया जाएगा। पटरियों पर दो ट्रेनों में आमने-सामने की भिड़ंत के खतरे से निपटने के लिए रेलवे ने कवच जैसी सुरक्षा तकनीक विकसित की है।

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    रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले साल किया था कवच सिस्टम का परीक्षण

    रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन चालक के साथ पिछले वर्ष सिकंदराबाद में कवच सिस्टम का परीक्षण किया था, जिसके वीडियो को उन्होंने रविवार को साझा किया है। यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक और संसाधन से बनाया गया एक तरह का स्वचालित ब्रेक सिस्टम है। रेल मंत्रालय ने इसे रिसर्च, डिजाइन और स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) के सहयोग से विकसित किया है। रेलवे बोर्ड ने इस प्रणाली के लिए जनवरी के शुरू में ही तीन हजार किमी की निविदा दस निर्माता कंपनियों को सौंपी है। प्रत्येक किमी में 67 लाख रुपये की लागत आएगी।

    ट्रेनों के आमने- सामने की टक्कर को रोकने में मिलेगी मदद

    दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के बीच जून 2024 तक अंतिम तौर पर इस प्रणाली को लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसे संशोधित करते हुए रेलवे ने चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक लगभग दो हजार किमी रेल ट्रैक में कवच प्रणाली को लगा देने का लक्ष्य तय किया है। यानी दो हजार किमी में रेल पटरियों पर ट्रेनों के आमने-सामने की टक्कर को रोका जा सकेगा। इसका मुख्य काम है चलती ट्रेनों को रेड सिग्नल पार करने से रोककर टकराने से बचाना है। किसी कारण अगर ट्रेन चालक गति को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो कवच प्रणाली अपने-आप ब्रेकिंग सिस्टम को सक्रिय कर देती है। आपातकाल के दौरान कवच प्रणाली दूसरे पायलट को लगातार संदेश भी देने लगती है।

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