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गांधी रचनात्मक सम्मेलन के लिए रेलवे देगा किराये में आधी छूट

सम्मेलन के आयोजकों ने रेलमंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर किराये में छूट की मांग की थी जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 01:00 AM (IST)
गांधी रचनात्मक सम्मेलन के लिए रेलवे देगा किराये में आधी छूट

नई दिल्ली,जेएनएन। जनवरी में अर्ध कुंभ के दौरान इलाहाबाद में आयोजित होने वाले गांधी रचनात्मक कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने के इच्छुक लोगों को रेलवे आधे किराये पर यात्रा का अवसर उपलब्ध कराएगा। वैसे हरिजन सेवक संघ के कार्यकर्ताओं को रेलवे की मौजूदा नीति के तहत पहले से ही किराये में 25 प्रतिशत छूट मिलती है। लेकिन संघ के अध्यक्ष संकर कुमार सान्याल ने पद्मम विभूषण निर्मला देश पांडे द्वारा स्थापित अखिल भारत रचनात्मक समाज तथा सर्वोदय समाज के कार्यकर्ताओं को सम्मेलनों में भाग लेने के लिए मिल रही 50 फीसद छूट की तर्ज पर अपने आर्थिक रूप से कमजोर कार्यकर्ताओं के लिए भी किराये में आधी छूट दिए जाने का अनुरोध किया था।

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इलाहाबाद में अखिल भारतीय गांधी रचनात्मक कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन हरिजन सेवक संघ द्वारा महात्मा गांधी की 150 जन्म जयंती समारोहों के सिलसिले में किया जा रहा है। ग्लोबल इंटरफेथ 'वाश' अलायंस तथा परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती द्वारा स्थापित गंगा एक्शन परिवार इस आयोजन में साझेदार की भूमिका निभा रहे हैं।

सम्मेलन का उद्देश्य अर्धकुंभ के दौरान देश-विदेश से आने वाले करोड़ों लोगों में स्वच्छ भारत, नमामि गंगे जैसे मिशनों के प्रति जागरूकता पैदा करना है। देश भर से संघ के एक हजार से ज्यादा प्रतिनिधियों के इसमें भाग लेने की उम्मीद है। हरिजन सेवक संघ की स्थापना स्वयं महात्मा गांधी ने 1932 में की थी। 

सम्मेलन के आयोजकों ने रेलमंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर किराये में छूट की मांग की थी। इसे स्वीकार करते हुए गोयल ने सम्मेलन में भाग लेने वाले हरिजन संघ के कार्यकर्ताओं को द्वितीय श्रेणी साधारण दर्जे तथा स्लीपर क्लास के किराये में पचास फीसद छूट देने की स्वीकृति प्रदान की है। यह छूट भी केवल बेसिक किराये में, एक बार आने-जाने के लिए और सामान्य मेल/एक्सप्रेस टे्रनों में मिलेगी। दूरंतो्र, महामना जैसी स्पेशल ट्रेनों में इसका लाभ नहीं मिल सकेगा।

गांधी जी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना अस्पृश्यता उन्मूलन के मकसद से की थी। उन्होंने इसका संविधान भी स्वयं लिखा था। तबसे लेकर अब तक यह संगठन हरिजनो के उत्थान की दिशा में कार्यरत है।


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