'उम्मीदवारों के बीच कोटे को विभाजित न करें', आरक्षण को लेकर रेलवे बोर्ड से मंत्रालय ने क्यों कही ये बात?
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड को सलाह दी है कि वह दृष्टिबाधितों के लिए निर्धारित एक प्रतिशत आरक्षण को विभाजित न करे। मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को लिखे पत्र में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 34 का पालन करने को कहा है जिसमें सरकारी संस्थानों में दिव्यांगजनों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड को दृष्टिबाधितों के लिए निर्धारित एक प्रतिशत आरक्षण को दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए 0.5-0.5 प्रतिशत में विभाजित न करने की सलाह दी है। मंत्रालय ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ को लिखे पत्र में यह सुझाव दिया है।
मंत्रालय को जानकारी मिली है कि रेलवे भर्ती प्रक्रिया में एक प्रतिशत कोटे को दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए 0.5 प्रतिशत में विभाजित किया गया है।
मंत्रालय ने क्या कहा?
मंत्रालय ने कहा कि रेलवे को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 34 का पालन करना होगा, जिसमें सरकारी संस्थानों में कुल रिक्तियों में से कम से कम चार प्रतिशत दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण का प्रविधान है। कानून में चार प्रतिशत आरक्षण को दिव्यांगता की चार श्रेणियों में एक-एक प्रतिशत में बांटने का प्रविधान है, जिनमें से एक है दृष्टिबाधित और कम दृष्टि।
कोई उप-कोटा निर्धारित नहीं
मंत्रालय ने कहा, कानून किसी दिव्यांगता की श्रेणी के भीतर आरक्षण का कोई उप-कोटा निर्धारित नहीं करता है। प्रत्येक श्रेणी के लिए एक प्रतिशत आरक्षण को सामूहिक और अविभाज्य माना जाएगा। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि सभी क्षेत्रीय रेलवे और प्रोडक्शन यूनिट्स को मंत्रालय के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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