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    बेहद खतरनाक है जटिल से जटिल समस्या का समाधान निकालने वाला क्वांटम कंप्यूटिंग, कॉरपोरेट जगत से लेकर मंत्रालय तक ढूंढ़ रहे बचने के उपाय

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 08:27 PM (IST)

    क्वांटम कंप्यूटिंग की बढ़ती शक्ति साइबर सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। अमेरिका कनाडा और भारत जैसे देश इससे निपटने के उपाय कर रहे हैं। यह तकनीक एन्क्रिप्टेड डेटा को आसानी से डिकोड कर सकती है जिससे रणनीतिक डेटा असुरक्षित हो सकता है। सीईआरटी ने 2030 के बाद भी सुरक्षित रखने योग्य डेटा पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी है।

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    क्वांटम कंप्यूटिंग को लेकर दुनिया में चिंता।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। क्वांटम कंप्यूटिंग का पूरी दुनिया में तेजी से विस्तार हो रहा है, जो कंप्यूटेशन के जरिए जटिल से जटिल समस्या को चुटकी में सुलझाने की क्षमता रखता है। लेकिन यह पूरी दुनिया की साइबर सुरक्षा के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है, जिसे भांपते हुए अमेरिका-कनाडा से लेकर भारत तक के कॉरपोरेट जगत और मंत्रालय क्वांटम कंप्यूटिंग के गलत प्रयोग से बचने के उपाय में जुट गए हैं।

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    क्वांटम कंप्यूटिंग सुपरकंप्यूटर से भी सैकड़ों गुना अधिक क्षमता रखता है परंतु इसकी एक सबसे बड़ी खासियत है कि यह किसी भी इनक्रिप्टेड डाटा को आसानी से पढ़ सकता है, उसे डिकोड कर सकता है। ऐसे में अगर क्वांटम कंप्यूटिंग का चलन बढ़ गया तो कोई भी डाटा सुरक्षित नहीं माना जाएगा। खासकर रणनीतिक क्षेत्रों के डाटा की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। तभी अमेरिका ने इस साल जनवरी में अपने सभी सरकारी विभाग को पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी ट्रांजिशन की तैयारी करने का आदेश दिया है।

    भारत ने भी जारी किया श्वेत पत्र

    भारत में भी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के अधीनस्थ काम करने वाली एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) ने एक श्वेत पत्र जारी किया है जिसमें क्वांटम कंप्यूटिंग के बाद वाले काल में डाटा को सुरक्षित रखने और उसे डिकोड होने से बचाने के उपायों का जिक्र किया गया है।

    कौन से डाटा को सबसे ज्यादा खतरा?

    सीईआरटी ने बताया है कि सबसे अधिक खतरा उन डाटा को है जिन्हें 2030 के बाद भी सुरक्षित रखने की जरूरत है। सीईआरटी ने देश के सभी मंत्रालय व विभागों के साथ अन्य स्टेकहोल्डर्स को मिलाकर एक संयुक्त टास्कफोर्स गठित करने की सलाह दी है।

    2030 तक 50 अरब डॉलर का होगा कारोबार

    केपीएमजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 60 प्रतिशत से अधिक कनाडा की तो 78 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियां मानती हैं कि वर्ष 2030 तक क्वांटम कंप्यूटिंग मुख्यधारा में आ जाएगा। इस समय तक क्वांटम कंप्यूटिंग का कारोबार 50 अरब डॉलर का हो जाएगा। अमेजन, गूगल, माइक्रोसाफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां अभी से क्वांटम कंप्यूटिंग की सेवा की तैयारी शुरू कर दी है।

    क्वांटम कंप्यूटिंग का तेजी से प्रसार होने के बाद साइबर अपराधी इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगेंगे। पूरी एक आशंका यह भी है कि साइबर चोर रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण डाटा की चोरी अभी कर सकते हैं और बाद में क्वांटम कंप्यूटिंग के जरिए उसे आसानी से पढ़ सकते हैं या डिकोड कर सकते हैं और फिर उसका गलत इस्तेमाल करेंगे।

    सीईआरटी ने दी ये सलाह

    सीईआरटी के मुताबिक वित्तीय दस्तावेज, हेल्थकेयर डाटा, सरकारी गोपनीय दस्तावेज, बौद्धिक संपदा व कानूनी दस्तावेज को क्वांटम कंप्यूटिंग से अधिक खतरा है, लेकिन वैसे संवेदनशील डाटा जिन्हें 10 साल से अधिक समय तक सुरक्षित और गोपनीय रखने की जरूरत है, उन पर क्वांटम कंप्यूटिंग का अधिक खतरा मंडरा रहा है।

    सीईआरटी ने एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की सलाह दी है जिसकी मदद से क्वांटम कंप्यूटिंग के जरिए इनक्रिप्टेड डाटा को नहीं पढ़ा जा सके। सर्वर, मोबाइल फोन व अन्य डिजिटल सभी उपकरणों में ऐसे सिस्टम को डालने की सलाह दी गई है जिसे क्वांटम कंप्यूटिंग से भी डिकोड नहीं किया जा सके।

    क्वांटम कंप्यूटिंग से जुड़ी तमाम साइबर असुरक्षा के मूल्यांकन करके उसे सुरक्षित करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने का सुझाव दिया गया है। सभी विभागों में अभी से इसकी तैयारी करने की जरूरत बताई गई है।

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