पुणे में 3 महिलाओं ने पुलिस पर लगाया मारपीट और जातिगत टिप्पणी करने का आरोप, शरद पवार की पार्टी ने की न्याय की मांग
पुणे में तीन महिलाओं ने पुलिस पर शारीरिक उत्पीड़न और जातिवादी टिप्पणियों का आरोप लगाया है। पुलिस छत्रपति संभाजीनगर से लापता महिला की जांच कर रही थी। महिलाओं का कहना है कि पुलिस बिना वारंट के घर में घुसी तलाशी ली और प्रताड़ित किया। वंचित बहुजन अघाड़ी और एनसीपी जैसे दलों ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।

पीटीआई, पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली तीन महिलाओं ने आरोप लगाया है कि एक मामले की जांच के दौरान पुलिसकर्मियों ने उनका शारीरिक उत्पीड़न किया और जातिवादी टिप्पणियां भी कीं। इन आरोपों के बाद मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है और विपक्षी दलों ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।
दरअसल, पुलिस छत्रपति संभाजीनगर से लापता हुई एक महिला के मामले की जांच कर रही है। आरोप है कि इसी दौरान पुलिसकर्मी तीन महिलाओं के किराए के मकान में घुस गए और बिना वारंट के घर की तलाशी लेनी शुरू कर दी। साथ ही महिलाओं को प्रताड़ित किया और जातिवादी टिप्पणियां कीं।
इन राजनीतिक दलों ने की पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
आरोपों के बाद वंचित बहुजन अघाड़ी और शरद पवार की एनसीपी समेत कई राजनीतिक दलों ने कोथरुड पुलिस स्टेशन से संबंधित अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। एनसीपी विधायक रोहित पवार तीनों महिलाओं और कुछ कार्यकर्ताओं के साथ रविवार रात पुणे पुलिस कमिश्नरेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानन व्यवस्था) रंजन कुमार शर्मा से मुलाकात की और पुलिसकर्मियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।
पुलिस ने किया दावों का खंडन
हालाँकि, पुणे पुलिस ने तीनों महिलाओं की ओर से किए गए दावों का खंडन किया है। कोथरुड पुलिस स्टेशन की ओर से महिलाओं को जारी एक पत्र में कहा गया है, "प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। इसलिए, अत्याचार अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला नहीं बनाया जा सकता।"
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।