Pulses Prices: दालों की कीमतों में तेजी से गिरावट, किसान परेशान; जानिए क्या है मामला
Pulses Prices दालों की कीमतों में तेजी से गिरावट होने से किसान परेशान हैं। अरहर दाल की कीमत तो लगभग चार वर्ष पहले की स्थिति में आ गई है। इससे आम लोगों को राहत तो मिल रही है लेकिन किसानों को अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल रहा है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक 20 लाख टन से अधिक मटर दाल का आयात हो चुका है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। दलहन में अगले चार वर्षों में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर लेने के संकल्प के बीच बड़ी मात्रा में आयात को प्राथमिकता देने से दालों की कीमतों में तेजी से गिरावट आ रही है। अरहर दाल की कीमत तो लगभग चार वर्ष पहले की स्थिति में आ गई है। इससे आम लोगों को राहत तो मिल रही है, लेकिन किसानों को अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल रहा है।
कुछ वर्षों से दालों के मूल्यों में निरंतर वृद्धि को देखते हुए किसान दलहन की खेती की ओर मुखातिब होने लगे हैं, लेकिन आयात नीति से उनका उत्साह ठंडा हो सकता है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए दाल का बेहिसाब आयात किया जा रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष में अभी तक 20 लाख टन से अधिक मटर दाल का आयात हो चुका है।
पांच दलहन फसलों के लिए एमएसपी
खेतों से पैदावार के आने से पहले इतनी मात्रा में आयात से दालों की कीमतें धराशायी होने लगी हैं। इससे उपभोक्ताओं को तो राहत मिल रही है, किंतु किसानों और कारोबारियों के लिए यह अच्छा ट्रेंड नहीं है। केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष पांच दलहन फसलों के लिए एमएसपी जारी करती है। किसानों को नुकसान से बचाने का उद्देश्य होता है, लेकिन उपभोक्ताओं में बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने दो-तरफा प्रयास शुरू किया।
सरकार के पास दाल का सबसे कम स्टॉक
पहला घरेलू उत्पादन बढ़ाकर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और दूसरा तात्कालिक तौर पर दूसरे देशों से आयात कर बाजार को संतुलित करना। इस बीच दाल के बफर स्टाक को भी समृद्ध करना है, क्योंकि पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार के पास दाल का सबसे कम स्टॉक बचा है।
आयात की तिथि और मात्रा बढ़ा दी गई
भंडार को भरने के लिए सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 13.22 लाख टन दाल खरीद का लक्ष्य तय किया है। इसमें अभी तक 3.40 लाख टन से ज्यादा की खरीदारी हो चुकी है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत आ गई कि पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की तिथि और मात्रा बढ़ा दी गई है।
किसानों को क्यों नहीं मिल रही अच्छी कीमत?
- पिछले वर्ष भी सरकार ने दालों की कमी को पूरा करने के लिए लगभग 67 लाख टन दाल का आयात किया था। इसमें दो तिहाई हिस्सा पीली मटर का है। इस बार भी अभी तक संभावित जरूरत का लगभग एक तिहाई मटर दाल का आयात किया जा चुका है।
- पहली बार आठ दिसंबर 2023 को मटर को शुल्क मुक्त आयात किया गया था। तभी से जारी है। आयातित मटर की कीमत 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि देसी मटर 3400 से 3600 रुपये प्रति क्विंटल है।
- जाहिर है, सस्ते मटर के आयात से घरेलू मटर उत्पादकों को भी अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। बुंदेलखंड दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र जैन ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंहचौहान से मटर का शुल्क मुक्त आयात बंद करने की मांग की है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
विशेषज्ञों का कहना है कि आयातित मटर का दाम सबसे कम है। अगर इस पर शुल्क नहीं लगाया गया तो किसान दलहन की खेती से कतराएंगे और ऐसे में दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना आसान नहीं होगा।
अरहर, मसूर और उड़द की सौ प्रतिशत खरीदारी की घोषणा के बावजूद अरहर और मसूर दाल की कीमतें एमएसपी से कम हैं। दलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने एवं किसानों को उचित कीमत दिलाने के लिए मटर के शुल्क मुक्त आयात को 31 मई से आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लेना चाहिए। साथ ही दाल कारोबार में चल रही मंदी को ध्यान में रखते हुए अरहर एवं उड़द के एक वर्ष तक शुल्क मुक्त आयात के आदेश को वापस लेना चाहिए।-ज्ञानेश मिश्र, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय कृषि उत्पाद उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल
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