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    दलहन संकट: दाल का भंडार खाली, सरकार की बढ़ी चिंता; क्या अब कीमतों में आएगा उछाल?

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 12:27 PM (IST)

    देश में दाल संकट गहराने लगा है। एमएसपी की तुलना में खुले बाजार में ज्यादा कीमत मिलने से सरकारी खरीद प्रभावित हुई है। इससे बफर स्टॉक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। इस स्थिति में सरकार के लिए दाल की बढ़ती कीमतों को काबू में रख पाना मुश्किल होगा। हालांकि सरकार पीली मटर दाल के आयात से कमी पूरी करने की कोशिश कर रही है।

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    कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉक में कम से कम 35 लाख टन दाल होनी चाहिए।

    अरविंद शर्मा, जागरण नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों से तुअर, उड़द और मसूर दालों की सौ प्रतिशत खरीदारी का वादा किया है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की तुलना में खुले बाजार में ज्यादा कीमत मिलने के चलते जरूरत भर सरकारी खरीद नहीं हो पा रही है। इसका सीधा असर बफर स्टॉक पर पड़ने लगा है। दाल का भंडार न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। यह खतरे का संकेत है।

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    आयात से संकट टालने की कोशिश

    हालांकि अच्छी बात है कि बफर स्टॉक का हाल और दाल की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने पीली मटर की दाल के आयात से भरपाई करने का प्रयास किया है। एक साल में 67 लाख टन से ज्यादा दाल का आयात किया गया है, जिसमें 31 लाख टन सिर्फ पीली मटर की दाल है। इसकी ड्यूटी मुक्त की अवधि भी बढ़ा दी गई है।

    बफर स्टॉक का उद्देश्य और मौजूदा स्थिति

    बफर स्टॉक से किसी वस्तु को उस वक्त निकाला जाता है, जब मांग की तुलना में आपूर्ति कम या मूल्य बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है। देश में दाल की खपत प्रत्येक वर्ष करीब तीन सौ लाख टन है, लेकिन इतनी मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है। ऐसे में किसानों से एमएसपी पर खरीदारी और आयात के जरिए भंडार को समृद्ध किया जाता है।

    बफर स्टॉक में गिरावट के आंकड़े

    कीमतों को नियंत्रित करने के लिए बफर स्टॉक में कम से कम 35 लाख टन दाल होनी चाहिए। वर्ष 2021-22 में यह 30 लाख टन एवं 2022-23 में 28 लाख टन था। किंतु वर्तमान में बफर स्टॉक में आधी से भी कम दाल उपलब्ध है। सूत्रों के मुताबिक सरकारी एजेंसियां नेफेड एवं एनसीसीसी के स्टॉक में सिर्फ 14.5 लाख टन दाल ही बची हैं।

    तुअर दाल की भारी कमी

    देश में सबसे अधिक तुअर दाल की मांग है, किंतु बफर स्टॉक में इसकी मात्रा सिर्फ 35 हजार टन ही है। ऐसे में सरकार की चिंता बढ़ना लाजिमी है। खरीदारी में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। तुअर दाल की खरीदारी 13.20 लाख टन करना है। खरीद एजेंसियों ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में दाल खरीदना प्रारंभ कर दिया है।

    अन्य दालों के स्टॉक का हाल

    मूंग, मसूर और चना दाल के स्टॉक में गिरावट है। बफर स्टॉक में उड़द की दाल नौ हजार टन है, जबकि केंद्र सरकार ने इसके लिए चार लाख टन का मानक तय कर रखा है। इसी तरह चना दाल भी कम से कम दस लाख टन होना चाहिए, लेकिन स्टॉक में सिर्फ 97 हजार टन ही है। हालांकि मसूर दाल की स्थिति थोड़ी ठीक है। मानक दस लाख टन की तुलना में बफर स्टॉक पांच लाख टन से ज्यादा है।

    एमएसपी और किसानों की प्रतिक्रिया

    एमएसपी पर दालों की खरीदारी थम जाने के चलते बफर स्टॉक पर असर पड़ा है। सरकार ने तुअर दाल की एमएसपी 2024-25 के लिए 7,550 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखी है। इसके पहले के वर्षों में मंडी में इसकी कीमत लगभग नौ हजार से 10 हजार प्रति क्विंटल तक रही है। लिहाजा, किसानों ने सरकारी खरीद एजेंसियों को दाल बेचने से इनकार कर दिया।

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