'पति-पत्नी का लंबे समय तक अलग रहना, दोनों के साथ क्रूरता', SC ने 24 साल पुराने तलाक के मामले में दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अलग रह रहे दंपती की शादी भंग करते हुए कहा कि पति और पत्नी का लंबे समय तक अलग रहना और सुलह की कोई उम्मीद न होना, दोनों पक्षों के लिए क ...और पढ़ें
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सुलह की संभावना न हो तो अदालतों को भी जल्दी निपटाने चाहिए ऐसे मामले (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अलग रह रहे दंपती की शादी भंग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि पति और पत्नी का लंबे समय तक अलग रहना और सुलह की कोई उम्मीद न होना, दोनों पक्षों के लिए क्रूरता के समान है।
न्यायमूर्ति मनमोहन और जोयमाल्या बागची की पीठ ने एक मामले में गौर किया कि आपसी विचार न मिलने की वजह से दंपति 24 साल से एक दूसरे से अलग रह रहा है। दोनों की शादी अगस्त 2000 में हुई और मात्र दो साल के बाद दोनों ने 2003 में तलाक के लिए मुकदमा दायर कर दिया।
विवाह खत्म करने का दिया गया निर्णय
ऐसा बताया गया कि अदालतों के तमाम प्रयासों के बावजूद, दोनों पक्षों में सुलह की कोई उम्मीद नहीं बची है। पीठ ने कहा कि कई मामलों में, इस कोर्ट को ऐसी स्थितियों से निपटने का मौका मिला है जहां पार्टियां काफी समय से अलग रह रही हैं और यह लगातार माना गया है कि सुलह की कोई उम्मीद न होने पर लंबे समय तक अलग रहना दोनों पार्टियों के लिए क्रूरता के बराबर है।
विवाह से जुड़े मामलों का लंबे समय तक अटके रहना केवल कागज में शादी को बनाए रखता है। दोनों पक्षों के बीच रिश्ते खत्म किए जाने से पक्षकारों और समाज, दोनों के हित में होगा। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूरी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीठ ने शिलांग के रहनेवाले दंपती के विवाह को खत्म करने का निर्णय दिया।

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