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    सरकार ने फिक्स किया फ्लाइट टिकट का रेट, फिर भी आसमान पर हैं दाम; मुनाफाखोरी में जुटीं एयरलाइंस

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 02:02 AM (IST)

    इंडिगो एयरलाइंस की मनमानी और टिकटों की भारी मांग के चलते किराए बढ़ने से यात्रियों को परेशानी हुई। सरकार ने हस्तक्षेप कर किराया सीमा तय की, लेकिन लोकल ...और पढ़ें

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    एयरपोर्ट पर यात्री।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। पिछले दिनों इंडिगो एयरलाइंस की मनमानी की वजह से हजारों विमान यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी दौरान टिकटों की भारी मांग के चलते किराए भी बेतहाशा बढ़ गए, जिससे यात्रियों पर दोहरी मार पड़ी।

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    इसे देखते हुए सरकार ने हस्तक्षेप किया और विमान किरायों के लिए सीमा तय कर दी। लेकिन 'लोकल सर्कल्स' के सर्वे में सामने आया है कि एयरलाइंस ने सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया और छह दिसंबर के बाद टिकट बुक करानेवाले हर 10 में से छह यात्री को असल किराया सीमा से ज्यादा मिला। एयरलाइंस कंपनियों की मुनाफाखोरी की वजह से लोगों को ऊंचे दाम पर टिकट खरीदने को मजबूर होना पड़ा। लोगों ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों पर इसकी शिकायत भी की।

    सरकार ने कितना किराया तय किया?

    बता दें कि नागर विमानन मंत्रालय ने छह दिसंबर से अस्थायी रूप से हवाई किरायों पर सीमा तय की है। इसके तहत 500 किमी तक की दूरी के लिए अधिकतम 'बेस फेयर' 7,500, 500-1,000 किमी के लिए 12,000, 1,000-1,500 किमी के लिए 15,000 और 1,500 किमी से अधिक के लिए 18,000 निर्धारित किया गया है। मंत्रालय ने साफ चेतावनी दी थी कि उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी।

    सर्वे में क्या क्या निकलकर सामने आया?

    हालांकि, यात्रियों का अनुभव इससे उलट है। लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वे में, जिसमें 291 जिलों से 25,519 यात्रियों ने हिस्सा लिया, 59 प्रतिशत यात्रियों ने कहा कि किराया कैपिंग का पालन नहीं हो रहा है। कुल मिलाकर, 10 में से 6 यात्रियों का कहना है कि 6 दिसंबर के बाद भी एयरलाइंस तय सीमा से अधिक किराया वसूल रही हैं।

    सर्वे और उपलब्ध बुकिंग उदाहरणों के अनुसार दिल्ली-कोलकाता और मुंबई-भुवनेश्वर जैसे मार्गों पर इंडिगो, एअर इंडिया, अकासा एयर और स्पाइसजेट सभी ने 15,000 की सीमा से अधिक बेस फेयर दिखाया। यह तब है, जब एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस ने सार्वजनिक रूप से कैपिंग के पालन का दावा किया था और किराया अंतर लौटाने का आश्वासन भी दिया था।

    लोकल सर्कल्स का सर्वे

    • 59 प्रतिशत ने कहा, कैपिंग सीमा से ज्यादा मिला किराया
    • 20 प्रतिशत ने कुछ स्पष्ट नहीं बताया
    • 21 प्रतिशत ने कहा, बेस फेयर के अंदर मिला टिकट
    • 291 जिलों से 25,519 विमान यात्रियों ने लिया सर्वे में हिस्सा
    • 67 प्रतिशत पुरुष और 33 प्रतिशत महिलाएं
    • 14 दिसंबर के लिए दिल्ली-कोलकाता विमान किराए (दूरी-1300 किमी)

    एयरलाइन विमान किराया (रु.)

    • एअर इंडिया (एआई1714) 16,113
    • इंडिगो (6ई6836) 16,033
    • अकासा (क्यू01801) 15,586
    • स्पाइसजेट (एसपी 263) 16,333

    विशेषज्ञों का क्या कहना है?

    विशेषज्ञों का कहना है कि इंडिगो की अव्यवस्थाओं के चलते यात्रियों पर पहले ही अतिरिक्त बोझ पड़ा है और अब किराया कैपिंग की कमजोर निगरानी ने सरकार की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तक तकनीक-आधारित निगरानी और कड़ी दंड व्यवस्था लागू नहीं होती, तब तक एयरलाइंस की मनमानी और मुनाफाखोरी पर लगाम लगना मुश्किल है। इसका सीधा नुकसान यात्रियों के भरोसे और जेब दोनों को हो रहा है।

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