Move to Jagran APP

अप्रैल तक 90 लाख टन नैनो DAP का होने लगेगा उत्पादन, खाद के मामले में विदेशी निर्भरता होने लगी है कम

केंद्र ने तरल उर्वरक के जरिए प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख टन दानेदार डीएपी के इस्तेमाल को कम करने का लक्ष्य रखा है। देश में तीन प्लांटों में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का शीघ्र उत्पादन किया जाएगा। दो प्लांटों में उत्पादन शुरू हो चुका है। अब गांधीधाम प्लांट में उत्पादन शुरू होने की प्रतीक्षा है जिसका शिलान्यास तीन दिन पहले गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Mon, 14 Aug 2023 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 14 Aug 2023 11:07 PM (IST)
इफको का दावा है कि इस प्लांट में भी अप्रैल से तरल डीएपी का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। उर्वरकों के नए संस्करण (तरल) ने कृषि क्षेत्र में नई क्रांति को मजबूती दी है। खाद के मामले में विदेशी निर्भरता कम होने लगी है। घरेलू उत्पादन बढ़ने से दूसरे देशों से यूरिया के आयात में कमी तो वर्ष भर पहले से ही होने लगी थी। अब तरल डाय-अमोनियम फास्फेट (डीएपी) के स्वदेशी निर्माण की तरफ तेजी से बढ़ने के चलते मुद्रा की अच्छी बचत भी होने की उम्मीद बढ़ गई है।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने तरल उर्वरक के जरिए प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख टन दानेदार डीएपी के इस्तेमाल को कम करने का लक्ष्य रखा है। देश में तीन प्लांटों में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का शीघ्र उत्पादन किया जाएगा। दो प्लांटों में उत्पादन शुरू हो चुका है। अब गांधीधाम प्लांट में उत्पादन शुरू होने की प्रतीक्षा है, जिसका शिलान्यास तीन दिन पहले गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया है।

क्या है IFFCO का दावा?

इफको का दावा है कि इस प्लांट में भी अप्रैल से तरल डीएपी का उत्पादन शुरू हो जाएगा। स्थानीय स्तर पर यूरिया के बंद पड़े कई प्लांटों को शुरू करने एवं नैनो-यूरिया के उत्पादन में तेजी आने के बाद से यूरिया का आयात वित्त वर्ष 2022-23 में लगातार दूसरी बार 17 प्रतिशत कम हो गया है। हालांकि इसी दौरान डीएपी के आयात में 30 प्रतिशत की वृद्धि भी देखी गई, जो विदेशी निर्भरता बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। इन्हीं परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने तरल यूरिया के बाद तरल डीएपी की ओर प्रस्थान किया है।

गुजरात के कलोल प्लांटों में शुरू हो चुका है उत्पादन

ओडिशा के पाराद्वीप एवं गुजरात के कलोल प्लांटों में उत्पादन शुरू हो चुका है। तीनों यूनिटों में छह-छह करोड़ बोतलों का उत्पादन होगा, जो 90 लाख टन डीएपी के बराबर होगा।रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार देश में प्रतिवर्ष डीएपी की लगभग 145 लाख टन की जरूरत है, जबकि घरेलू उत्पादन इसका मात्र एक तिहाई है। स्पष्ट है कि प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख टन डीएपी का आयात करना पड़ता है। इसके लिए बड़ी रकम खर्च कर विदेश से मंगाना पड़ता है।

कृषि में उर्वरकों की बढ़ती जा रही है मांग

देश में प्रतिवर्ष 360 से 380 लाख टन यूरिया की भी जरूरत पड़ती है, जबकि उत्पादन सिर्फ 250 टन होता है। अभी भी सौ टन से ज्यादा यूरिया दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है। कृषि में उर्वरकों की मांग बढ़ती जा रही है। इसलिए घरेलू उत्पादन पर जोर देते हुए फरवरी 2021 में नैनो यूरिया की नीति को मंजूरी दी गई थी और मात्र दो वर्षों के भीतर ही लगभग 17 करोड़ नैनो यूरिया तैयार करने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.