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    प्रधानमंत्री विश्व की सबसे लंबी क्रूज यात्रा को दिखाएंगे हरी झंडी, 50 दिनों में तय होगी 3200 किलोमीटर की दूरी

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Thu, 05 Jan 2023 07:52 PM (IST)

    इस क्रूज को रविदास घाट के सामने जेट्टी बोर्डिंग स्थल से झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गंगा विलास क्रूज कुल 3200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह किसी भी क्रूज द्वारा विश्व की सबसे लंबी यात्रा होगी।

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    इस क्रूज को रविदास घाट के सामने जेट्टी बोर्डिंग स्थल से झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा।

    वाराणसी, पीटीआई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 जनवरी को गंगा विलास क्रूज का शुभारंभ करेंगे। इस बारे में उत्तर प्रदेश सूचना और जनसंपर्क विभाग ने ट्वीट कर जानकारी दी। विभाग ने बताया कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के वाराणसी से बांग्लादेश के रास्ते असम के डिब्रूगढ़ तक विश्व की सबसे लंबी क्रूज यात्रा का शुभारंभ करेंगे। वाराणसी से रवाना होने के बाद यह क्रूज गाजीपुर, बक्सर और पटना से होकर कोलकाता पहुंचेगा।

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    इसके बाद एक पखवाड़े तक क्रूज की यात्रा बांग्लादेश की नदियों में होगी और फिर यह गुवाहाटी होते हुए वापस भारत में प्रवेश करके डिब्रूगढ़ पहुंचेगी।

    50 दिनों में तय होगी 3200 किलोमीटर की दूरी

    इस क्रूज को रविदास घाट के सामने जेट्टी बोर्डिंग स्थल से झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, गंगा विलास क्रूज कुल 3,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह किसी भी क्रूज द्वारा विश्व की सबसे लंबी यात्रा होगी। इस यात्रा में कुल 50 दिन लगेंगे। यात्रा के दौरान यह क्रूज विश्व धरोहर स्थलों सहित 50 से अधिक जगहों पर रुकेगा। सुंदरवन डेल्टा और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान सहित यह जहाज कई राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से भी गुजरेगा।

    तैयारियों में जुटा प्रशासन

    प्रशासन को हालांकि अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई औपचारिक कार्यक्रम प्राप्त नहीं हुआ है, फिर भी जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों के संबंध में वाराणसी मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा व जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने संस्कृति विभाग, पर्यटन विभाग व अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।

    आपको बता दें कि केंद्र सरकार नदियों को आवागमन, पर्यटन और परिवहन के मार्ग के रूप में अपनाए जाने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में जलमार्गों से माल की आवाजाही की काफी संभावनाएं हैं जिनका दोहन किया जाना चाहिए।

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