प्रधानमंत्री के ''मन की बात'' ने बढ़ाई आयुर्वेद की स्वीकार्यता, पिछले नौ सालों में आठ गुना बढ़ा इसका का बाजार
आयुष मंत्री सर्बानंद सोनेवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम ने आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने लोकप्रिय मन की बात के 99 एपिसोड में से 37 एपिसोड में आयुर्वेद का जिक्र कर चुके हैं। फोटो- sarbanandsonwal

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ''मन की बात'' कार्यक्रम ने आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ाई है। आयुष मंत्री सर्बानंद सोनेवाल के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा ''मन की बात'' कार्यक्रम में इसके फायदों को गिनाने के बाद आयुर्वेद का बाजार आठ गुना बढ़कर तीन लाख 20 हजार करोड़ तक पहुंच गया है।
पीएम के आने के बाद आर्युवेद को आगे बढ़ाने में जुटी है सरकार
''मन की बात'' कार्यक्रम का आयुर्वेद के विभिन्न क्षेत्रों में पड़ने वाले प्रभावों के विशेषज्ञों के अध्ययन की रिपोर्ट जर्नल आफ रिसर्च इन आयुर्वेद साइंसेस के ताजा अंक में प्रकाशित किया गया है। सोनेवाल ने इस जर्नल का लोकार्पण किया। सर्बानंद सोनेवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद से ही आयुर्वेद को आगे बढ़ाने की कोशिश मे जुटे हैं।
विदेशों में बढ़ी आयुर्वेद की लोकप्रियता
उन्होंने कहा कि इसके न सिर्फ आयुष मंत्रालय का अलग से गठन किया, बल्कि इसके बजट को नौ सालों में आठ गुना से अधिक बढ़ाया गया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री अपने लोकप्रिय ''मन की बात'' के 99 एपिसोड में से 37 एपिसोड में आयुर्वेद का जिक्र कर चुके हैं। इसके कारण देश में ही नहीं विदेशों में आयुर्वेद की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। इसका अंदाजा आसानी से आयुर्वेदिक दवाओं के प्रति बढ़ते भरोसे से लगाया जा सकता है।
आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन के लिए देश में खुले 900 से अधिक स्टार्टअप
उन्होंने कहा कि देश में 53 हजार से अधिक लघु और मझौली इकाइयां आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन में लगी है और इस क्षेत्र में 900 से अधिक स्टार्टअप भी खुल चुके हैं। उन्होंने कहा कि 52 देशों में आयुर्वेदिक दवा अश्वगंधा का निर्यात करने वाला हैदराबाद का एक स्टार्टअप तो यूनिकार्न भी बन चुका है यानी 8000 करोड़ रुपये अधिक की कंपनी बन चुकी है।
देश के कई विश्वविद्यालयों में शुरु हुआ आर्युवेद का अध्ययन
सर्बानंद सोनेवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ''मन की बात'' कार्यक्रम में बार-बार आयुर्वेदिक दवाओं को अत्याधुनिक प्रमाण आधारित मापदंडों पर खरा उतारने की जरूरत बताई है। इसे देखते हुए देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसके लिए अध्ययन शुरु हुए और खासतौर पर कोरोना के दौरान संक्रमण को गंभीर होने से रोकने में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रभावों को वैज्ञानिक मापदंड पर साबित भी किया गया।
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