ट्रेड वॉर नहीं चाहता भारत... फ्रांस के बाद अमेरिका जाएंगे पीएम मोदी, जानिए कितना अहम है ये दौरा
पीएम नरेंद्र मोदी 12 फरवरी से दो दिन की अमेरिका यात्रा पर जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए यह पीएम मोदी का पहला दौरा है। इसमें दोनों नेत ...और पढ़ें

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बुधवार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह संदेश देंगे कि भारत अमेरिका के साथ किसी तरह के ट्रेड वॉर का पक्षधर नहीं है।
ऐसे में भारत के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को पाटने की पेशकश भी उनकी तरफ से किए जाने की संभावना है। इसमें अमेरिका से ज्यादा तेल एवं एलएनजी की खरीद और अमेरिकी आयात बढ़ाने के लिए शुल्कों में कुछ नई राहतों की घोषणा भी भारत की तरफ से की जा सकती है।
कई उत्पादों पर लग सकता है शुल्क
फ्रांस की यात्रा के बाद प्रधानमंत्री मोदी 12 फरवरी, 2025 को वाशिंगटन पहुंचेंगे। उसी दिन राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से स्टील, एल्युमिनियम समेत कुछ दूसरे उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के संकेत दिए गए हैं।
यह शुल्क भारत से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात पर भी बड़ा असर डाल सकता है। भारतीय उत्पादों व सेवाओं के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। फ्रांस रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जो बयान दिया है, उसमें अमेरिका यात्रा का भी जिक्र है।
पीएम मोदी ने साझा किया अनुभव
- मोदी ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप के आमंत्रण पर मैं फ्रांस की यात्रा के बाद अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा पर जाऊंगा। जनवरी, 2025 में सत्ता संभालने के बाद यह मित्र ट्रंप के साथ मेरी पहली मुलाकात होगी, लेकिन उनके पहले कार्यकाल के दौरान उनके साथ काम करने और भारत-अमेरिका समग्र वैश्विक साझेदारी विकसित करने को लेकर मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा है।
- उन्होंने कहा कि यह यात्रा हमारे बीच प्रौद्योगिकी, कारोबार, ऊर्जा, सप्लाई चेन के क्षेत्र में साझेदारी को और गहरा करने का बढ़िया अवसर देगी। राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में हमने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए जो काम किया है, उसे और मजबूत बनाया जाएगा। हम दोनों अपने देश के नागरिकों के हितों के लिए और दुनिया का सुनहरा भविष्य बनाने के लिए काम करेंगे।'
- दैनिक जागरण ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर जिन कूटनीतिक सूत्रों से बात की, उन सभी का कहना है कि मौजूदा माहौल में भारत की हर मुमकिन कोशिश अमेरिका के साथ किसी भी तरह के ट्रेड वॉर (कारोबारी युद्ध) को टालने की होगी। वैश्विक बाजार में संकुचन के आसार हैं।
- ऐसे में भारत अमेरिका जैसे अपने सबसे बड़े वैश्विक बाजार को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाएगा। खास तौर पर तब जबकि ट्रंप प्रशासन एकदम स्पष्ट कर चुका है कि वह अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाने वाले देशों के विरुद्ध कदम उठाने से हिचकेगा नहीं।
बैठक में निकलेगा समाधान
राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार भारत को उन देशों की सूची में रखा है, जो अमेरिकी कंपनियों व उत्पादों पर सबसे ज्यादा शुल्क लगाते हैं। बताते चलें कि एक फरवरी, 2025 को पेश आम बजट में भी भारत ने कुछ उत्पादों पर सीमा शुल्क घटाया था और अब इस सूची में कुछ और नए उत्पादों को शामिल करने पर विचार जारी है।
मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बैठक में दोनों देशों के बीच एक कारोबारी समझौता करने को लेकर भी बात होने की बात सामने आई है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में वर्ष 2019 में भारत और अमेरिका के बीच एक 'मिनी ट्रेड डील' को लेकर कई चरणों में बात हुई थी। लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया था। जो बाइडन प्रशासन ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया। अब भारत की तरफ से इस डील को नए सिरे से किए जाने का प्रस्ताव होने की संभावना है।

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