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    हिंदी की उपेक्षा से प्रणब, राजनाथ चिंतित

    By Murari sharanEdited By:
    Updated: Sat, 15 Nov 2014 06:43 PM (IST)

    देश की बहुसंख्यक आबादी द्वारा बोली और लिखी जाने वाली भाषा हिंदी की उपेक्षा से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह बेहद चिंतित हैं। हिंदी को देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए राष्ट्रपति ने इसके अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया है।

    नई दिल्ली। देश की बहुसंख्यक आबादी द्वारा बोली और लिखी जाने वाली भाषा हिंदी की उपेक्षा से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह बेहद चिंतित हैं। हिंदी को देश की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताते हुए राष्ट्रपति ने इसके अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया है। जबकि राजनाथ सिंह सरकारी कामकाज में इसके कम इस्तेमाल से दुखी हैं।

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    दोनों नेता शनिवार को गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित राज भाषा समारोह को संबोधित कर रहे थे। अपने संबोधन में प्रणब का कहना था, 'भारत जैसे विशाल देश में जहां कई भाषा बोली जाती हैं, उसमें हिंदी का अपना विशेष स्थान है। यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक एकता की प्रतीक है। इतना ही नहीं हिंदी लोगों को आपस में जोड़ने के लिए मुख्य संपर्क भाषा भी है। यह सरकार और जनता के बीच सेतु का भी काम करती है।'

    इस समारोह में हिंदी को प्रोत्साहित करने वाले विभागों को पुरस्कार प्रदान किया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 67 वर्षो बाद भी सरकारी दफ्तरों में हिंदी का व्यापक इस्तेमाल नहीं किया जाता है।' उनके अनुसार, 'देश के 75 फीसद लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। इसके बावजूद सरकारी कार्यालय में इसके प्रयोग से परहेज किया जाता है।

    हालत यह हो गई है कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए हमें हिंदी दिवस का आयोजन करना पड़ता है। गृह मंत्री ने हिंदी के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया।