पांच करोड़ गैर पंजीकृत माइक्रो यूनिटों को बैंक से जोड़ने की तैयारी, बनाया गया उद्यम एसिस्ट प्लेटफार्म
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक देश में जीएसटी नेटवर्क से 1.40 करोड़ कारोबारी जुड़े हुए हैं जबकि एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल से जुड़ने वाले कारोबारियों की संख्या 1.33 करोड़ है। एमएसएमई मंत्रालय यूएपी की मदद से इन माइक्रो यूनिट को बिना किसी कागजी प्रक्रिया के मुख्यधारा में लाएगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एमएसएमई मंत्रालय पांच करोड़ असगंठित माइक्रो यूनिट्स व इंटरप्राइजेज को पंजीयन सर्टिफिकेट देने की तैयारी कर रहा है। इस काम के लिए उद्यम एसिस्ट प्लेटफार्म (यूएपी) बनाया गया है जिसके माध्यम से अति छोटी यूनिट या कारोबारी को उनके किसी भी बैंक के खाते के आधार पर पंजीयन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
इसका फायदा यह होगा कि ये यूनिट सीधे तौर पर बड़े बैंक से अपने काम के लिए लोन ले सकेंगे और बैंक भी उन्हें प्राथमिकता देगा। अभी ये यूनिट सरकारी स्कीम का लाभ उठाने से भी वंचित रह जाते हैं। अभी देश में 6.4 करोड़ एमएसएमई है।
उद्यम पोर्टल से जुड़ने वाले कारोबारियों की संख्या है 1.33 करोड़
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक देश में जीएसटी नेटवर्क से 1.40 करोड़ कारोबारी जुड़े हुए हैं जबकि एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल से जुड़ने वाले कारोबारियों की संख्या 1.33 करोड़ है। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रो यूनिट विभिन्न प्रकार की कागजी प्रक्रिया की वजह से खुद को पंजीकृत नहीं कराती है और इस वजह से वे एमएसएमई की परिधि के बाहर रहती हैं।
उत्तर प्रदेश में 78.7 लाख माइक्रो यूनिट्स पंजीकृत नहीं
एमएसएमई मंत्रालय यूएपी की मदद से इन माइक्रो यूनिट को बिना किसी कागजी प्रक्रिया के मुख्यधारा में लाएगा। इससे उन्हें अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए वित्तीय सुविधा आसानी से उपलब्ध होगी और कारोबार बढ़ने पर नए रोजगार भी निकलेंगे।
एसबीआइ रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, तमिलनाडु जैसे राज्यों को इसका अधिक फायदा मिलेगा क्योंकि इन राज्यों में पंजीकृत माइक्रो यूनिट्स और कुल माइक्रो यूनिट्स के बीच का अंतर अधिक है। उत्तर प्रदेश में 78.7 लाख माइक्रो यूनिट्स पंजीकृत नहीं है तो बिहार में इस प्रकार के माइक्रो यूनिट की संख्या 29.2 लाख, पश्चिम बंगाल में 84.3 लाख, तमिलनाडु में 35.7 लाख यूनिट है।
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