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किरण रिजिजू के पक्ष में उतरा बिजली मंत्रालय, कहा- कांग्रेस के आरोप निराधार

सरकारी बिजली कंपनी नीपको की तरफ से जिस कंपनी को भुगतान करने का आरोप कांग्रेस की तरफ से लगाया गया है उसे पूरी तरह से गलत करार दिया गया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 13 Dec 2016 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 14 Dec 2016 10:48 AM (IST)
किरण रिजिजू के पक्ष में उतरा बिजली मंत्रालय, कहा- कांग्रेस के आरोप निराधार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली मंत्रालय भी गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू के पक्ष में खुल कर उतर आया है। बिजली मंत्रालय की तरफ से देर शाम जारी एक विस्तृत प्रेस रिलीज में रिजीजू पर लगे आरोपों को न सिर्फ निराधार बताया गया है बल्कि सरकारी बिजली कंपनी नीपको की तरफ से जिस कंपनी को भुगतान करने का आरोप कांग्रेस की तरफ से लगाया गया है उसे पूरी तरह से गलत करार दिया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नीपके के जिस अधिकारी (सीवीओ) एस सी वर्मा की टेप रिकार्डिग कांग्रेस ने पेश की है उनके काम काज को लेकर भी बिजली मंत्रालय ने सवाल उठाये हैं।

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बिजली मंत्रालय का कहना है कि श्री वर्मा ने 18 महीनों तक सीवीओ के पद पर काम किया लेकिन इसमें से 310 दिनों तक वह नीपको कंपनी के शिलांग मुख्यालय से बाहर रहे और इस बारे में उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सूचना भी नहीं दी। अपने पद से 05 मई, 2016 को मुक्त होने के बाद उन्होंने कुछ पुराने फाइल बिजली मंत्रालय को भेजे हैं। यह बात भी सामने आई है कि उन्होंने पद छोड़ने के समय उन सभी फाइलों को सरकारी विभाग को सुपुर्द नहीं किया था जो उन्हें करना चाहिए था।

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बिजली मंत्रालय ने उस कंपनी का जिक्र भी किया है जिसको लेकर रिजीजू पर आरोप लगाये जा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि पटेल इंजीनियरिंग नाम की इस कंपनी को दिसंबर, 2004 में ठेका दिया गया था। उसे कंपनी ने वर्ष 2012 से जुलाई, 2015 तक भी काम किया है और उसे समय समय पर भुगतान होता रहा है। भुगतान राज्य सरकार से आवश्यक अनुमति व सत्यापन के होने के बाद ही किया जाता रहा है।

सीवीओ वर्मा ने जुलाई, 2015 में एक निरीक्षण के बाद इस कंपनी को भुगतान स्थगन का आदेश दिया था लेकिन उन्होंने स्वयं ही 19 अक्टूबर, 2015 को 60 फीसद भुगतान करने का आदेश दिया था। बिजली मंत्रालय ने माना है कि रिजीजू ने अपने संसदीय क्षेत्र का मामला होने की वजह से नवंबर, 2015 में बिजली मंत्रालय को पत्र लिखा था लेकिन उसमें उन्होंने भुगतान करने संबंधी कोई आग्रह नहीं किया था। वैसे इस पत्र प्राप्ति से पहले ही उक्त कंपनी के बकाये राशि का 60 फीसद का भुगतान हो चुका था।

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