पोर्न साइटों पर बैन के लिए फिर उठी आवाज
महिला वकीलों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से अश्लील सामग्री मुहैया कराने वाली सभी वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
नई दिल्ली। महिला वकीलों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से अश्लील सामग्री मुहैया कराने वाली सभी वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। संगठन ने अदालत में एक अर्जी दाखिल कर कहा है कि अश्लील सामग्री युवा पीढ़ी को भटका रही है और महिलाओं के प्रति अपराध के लिए प्रेरित करती है।
सुप्रीम कोर्ट वुमन लायर्स एसोसिएशन ने अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध के लिए वकील कमलेश वासवानी की लंबित याचिका में पक्षकार बनाने का अनुरोध किया है। महिला वकीलों के संगठन ने केंद्र सरकार द्वारा 857 अश्लील साइटों पर लगा प्रतिबंध हटाने के एक महीने बाद यह अर्जी दायर की है। इस अर्जी में पोर्नोग्राफी के मसले पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने और चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर अंकुश लगाने के लिए कठोर उपाय करने का अनुरोध किया गया है।
पढ़ेंःपोर्न पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर महिला वकीलों की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
अर्जी में कहा गया है कि देश में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाए जाने के निर्णय की सोशल मीडिया पर जबर्दस्त आलोचना हुई। इसके बाद सरकार ने चार अगस्त को यह पाबंदी हटा ली।
इससे पहले इन साइटों पर प्रतिबंध का आदेश वापस लेने के बाद केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि शासन नैतिक पुलिस नहीं बन सकता है। इस सारे मसले पर व्यापक बहस की आवश्यकता है। सरकार ने कोर्ट को सूचित किया था कि उसने चाइल्ड पोर्नोग्राफी वाली साइटों को ब्लॉक कर दिया है।
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