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    देश में जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार पर लगे लगाम, कानून से ज्यादा जागरूकता जरूरी

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 17 Jul 2021 09:34 AM (IST)

    हमारी आबादी इतनी तेज गति से बढ़ रही है कि हम कितनी भी प्रगति करें कितना भी संपत्ति निर्माण करें उसका खास सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा क्योंकि हम जितने संसाधन सृजित करते हैं उससे कई गुना अधिक उनका उपभोग करने वाले पैदा हो जाते हैं।

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    जनसंख्या की बढ़ती रफ्तार पर लगाम लगानी ही होगी

    निरंकार सिंह। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश की नई जनसंख्या नीति को जारी कर दिया है। इस नीति के तहत जनसंख्या नियंत्रण का फार्मूला तैयार किया गया है। राज्य विधि आयोग द्वारा तैयार ड्राफ्ट में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़ी सिफारिशों की वकालत की गई है। माना जा रहा है कि इसे सख्ती से लागू करने के लिए विधि आयोग की कुछ सिफारिशों को भी मंजूरी मिल सकती है।

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    ड्राफ्ट में कहा गया है कि दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्ति का राशन कार्ड चार सदस्यों तक सीमित होगा और वह किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने का पात्र नहीं होगा। कानून लागू होने के सालभर के भीतर सभी सरकारी कर्मचारियों और स्थानीय निकाय चुनाव में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को एक शपथपत्र देना होगा कि वे नियम का उल्लंघन नहीं करेंगे। यह शपथपत्र देने के बाद अगर वह तीसरा बच्चा पैदा करते हैं तो इसके प्रारूप में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति रोकने और बर्खास्त करने तक की सिफारिश की गई है।

    उल्लेखनीय है कि चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति से आज मानव जाति के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। देश में प्रति व्यक्ति जीवन प्रत्याशा में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। लिहाजा मौत पर लगाम लगाने के साथ जन्म पर भी लगाम लगानी होगी। एकतरफा लड़ाई महंगी पड़ेगी। हमने मौत का दरवाजा तो छोटा कर दिया है, लेकिन जन्म द्वार पुरानी रफ्तार से ही बढ़ रहा है।

    इस धरती पर कभी बड़े-बड़े डायनासोर होते थे। लेकिन उनकी जनसंख्या इतनी बढ़ गई कि उनके खाने और रहने की जगह कम पड़ गई और उन सबका विनाश हो गया। आज मुश्किल से उनके सिर्फ कंकाल ही मिलते हैं। उनके विनाश का और कोई कारण नहीं है, न तो इतना बड़ा भूकंप आया और न अकाल पड़ा, बल्कि सबकी मौत भोजन की कमी से हो गई। जीव-जंतुओं की बहुत सी प्रजातियां तो इस धरती से लुप्त हो गई हैं, इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लंदन विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन के अनुसार आज मानव जाति के सामने सबसे बड़ा संकट जनसंख्या विस्फोट का है। बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन कोई संयोग नहीं है। हम दुनिया की मौजूदा आबादी का ही पेट नहीं भर पा रहे हैं। बढ़ती आबादी की वजह से भोजन का संकट होने लगा है। खेती की जमीन सिकुड़ती जा रही है और बंजर जमीन में बदल रही है। पहले जहां खेती-बाड़ी होती थी, उन जगहों पर भी आज बस्तियां बस गई हैं और कल-कारखाने लग गए हैं। ऐसे में सबके लिए खाद्यान्न कहां से आएगा, यह कोई नहीं सोच रहा है। बढ़ती आबादी के साथ साथ संसाधनों की कमी आज भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए बहुत बड़ा संकट है।

    आज इस पृथ्वी पर सात अरब से अधिक लोग हैं। भारत की आबादी वर्ष 1930 में 33 करोड़ थी। आज 135 करोड़ से अधिक हो गई है। सिर्फ 90 वर्षो में यह बढ़कर चार गुना से भी ज्यादा हो गई। यदि आबादी में वृद्धि की यह रफ्तार जारी रही तो इस सदी के अंत तक हम कहां खड़े होंगे कोई नहीं बता सकता। सभा करने की कोई जरूरत नहीं होगी। हम जहां भी खड़े होंगे सभा ही होगी। सड़कों पर चलने के लिए जगह कम पड़ जाएगी। लेकिन इतने लोग कैसे जी सकते हैं। यह सवाल सारी दुनिया के सामने है, हमारे सामने सबसे अधिक है। सबसे अधिक इसलिए कि समृद्ध समुदायों के लोग बच्चे कम पैदा करते हैं और गरीब समुदायों के लोग ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। फिर समुदाय और जाति की राजनीति करने वाले दलों को देश की कोई चिंता नहीं है, वे अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूíत के लिए पतन की जिस पराकाष्ठा पर पहुंच जाते हैं, उसकी तो दुनिया में कहीं कोई मिसाल नहीं मिलती है। कुछ धर्म गुरु कहते हैं कि बच्चे भगवान देते हैं। पर जो धर्म गुरु यह समझाते हैं कि बच्चे भगवान देता है, वे यह नहीं समझाते कि बीमारी भी भगवान देता है, उसका भी इलाज नहीं करवाना चाहिए। बीमारी का इलाज डाक्टर से करवा रहे हैं और बच्चे भगवान पर थोप देते हैं। ऐसे बहाने नहीं चलेंगे।

    दुनिया के विकसित देशों ने अपनी आबादी को नियंत्रित कर लिया है। कई देशों में पिछले एकाध दशकों से आबादी स्थिर है। फ्रांस और जापान में तो घट रही है। चीन ने भी अपनी आबादी पर लगभग नियंत्रण पा लिया है, लेकिन भारत इस मामले में अभी तक पिछड़ा है। हालांकि अब ऐसे कृत्रिम साधन उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कर परिवार नियोजित किया जा सकता है। लेकिन लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं। समाज को जागरूक बनाने की सरकार ने बहुत कोशिश की है। परंतु अभी तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए हैं। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लागू होना ही चाहिए।

    अब जनसंख्या नियंत्रण या संतति नियमन को समझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह जीवन मरण का सवाल है। यह अनिवार्य होना चाहिए। अनिवार्य का मतलब यह कि जिनके बच्चों की संख्या दो से अधिक हो, उन्हें तमाम सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाए। जिनके पास बच्चे कम हों उनको ज्यादा सुविधाएं मिलनी चाहिए। अभी हालत यह है कि अविवाहित आदमी पर टैक्स ज्यादा है और विवाहित पर टैक्स कम है। बच्चे हो जाएं तो और कम है। यह उल्टी बात है। अब अविवाहित आदमी पर टैक्स बिल्कुल नहीं लगना चाहिए या न्यूनतम होना चाहिए। विवाहित पर ज्यादा टैक्स होना चाहिए और बच्चों की संख्या के अनुसार पर बढ़ता जाना चाहिए। तभी हम आबादी को बढ़ने से रोक पाएंगे। सब तरफ से दो बच्चों के बाद सख्त से सख्त कदम उठाकर रोक लगानी चाहिए। उन्हें सरकारी नौकरियों के अलावा मताधिकार से भी वंचित किया जाना चाहिए। अब यदि हमने जनसंख्या नियंत्रण पर सख्त कानून बनाकर उसे लागू नहीं किया तो सबके सामूहिक विनाश की तैयारी कर लेनी चाहिए।

    [स्वतंत्र पत्रकार]