PM Vishwakarma Yojana: पीएम विश्वकर्मा योजना से दो साल में जुड़े 30 लाख लोग, जानिए इस योजना के फायदे
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के दो साल पूरे होने पर सरकार ने अपडेट साझा किया। योजना में लगभग 30 लाख कारीगरों और शिल्पकारों ने पंजीकरण कराया है जिनमें से 26 लाख को प्रशिक्षण मिला है। 41188 करोड़ रुपए के 4.7 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं। सबसे ज्यादा पंजीकरण राजमिस्त्री पेशे में हुए हैं। कारीगरों को आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने के लिए 23 लाख से अधिक ई-वाउचर जारी किए गए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू होने के दो साल पूरे होने पर सरकार ने इसका अपडेट साझा किया है। सरकार के अनुसार, इस योजना में अब तक लगभग 30 लाख कारीगरों और शिल्पकारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से 26 लाख लोगों को कौशल सत्यापन और ट्रे¨नग का लाभ भी दिया जा चुका है। इतना ही नहीं, योजना के अंतर्गत अब तक 41,188 करोड़ रुपए के 4.7 लाख ऋण स्वीकृत किए गए हैं। यह कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार ने बताया कि योजना के तहत सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन राजमिस्त्री पेशे में देखने को मिले हैं, जो इस बात को दर्शाता है कि निर्माण कार्य से जुड़े पारंपरिक व्यवसाय अभी भी बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी का साधन हैं।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि योजना का उद्देश्य सिर्फ रजिस्ट्रेशन तक सीमित नहीं है, बल्कि कारीगरों को आधुनिक उपकरण उपलब्ध करना भी है। इसके लिए 23 लाख से अधिक ई-वाउचर टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में जारी किए गए हैं। इन वाउचर्स के जरिए कारीगर नए औजार खरीद सकते हैं और अपने काम को और बेहतर बना सकते हैं।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना की शुरुआत 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर की गई थी। इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपए रखा गया है, जो वित्तीय 2023-24 से 2027-28 तक लागू रहेगा। सरकार ने इसे एक परिवर्तनकारी योजना बताया है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उनके संबंधित व्यवसायों के लिए संपूर्ण सहायता प्रदान करना है।
यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिल्पकला को प्रोत्साहित करने पर जोर देता है, साथ ही महिला सशक्तिकरण और हाशिए पर पड़े या वंचित समूहों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांगजन, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर राज्यों, द्वीपीय क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों पर विशेष ध्यान देता है।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)
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