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    Tata-Airbus: PM Modi रखेंगे टाटा-एयरबस के मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला, मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 29 Oct 2022 11:40 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को गुजरात में सी295 सैन्य परिवहन विमानों के निर्माण के लिए टाटा-एयरबस के मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र की आधारशिला रखेंगे। इस तरह से भारत ऐसे विमानों के निर्माण की क्षमता रखने वाले लगभग एक दर्जन देशों के समूह में शामिल हो जाएगा।

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    टाटा-एयरबस के मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र की आधारशिला रखेंगे पीएम मोदी। (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को गुजरात में सी295 सैन्य परिवहन विमानों के निर्माण के लिए टाटा-एयरबस के मैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र की आधारशिला रखेंगे। इस तरह से भारत ऐसे विमानों के निर्माण की क्षमता रखने वाले लगभग एक दर्जन देशों के समूह में शामिल हो जाएगा। इस संबंध में अधिकारियों ने कहा कि इससे सरकार के मेक इन इंडिया को भी बढ़ावा मिलेगा।

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    देश में चल रही है रक्षा क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाएं

    उन्होंने कहा कि सरकार अपने महत्वाकांक्षी स्वदेशी कार्यक्रमों के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों पर नजर रखती है। देश में रक्षा क्षेत्र से संबंधित कई परियोजनाएं जैसे मिसाइलों, फील्ड गन, टैंक, विमान वाहक, ड्रोन, लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टरों के घरेलू निर्माण के लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिन्हें पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की जरूरत है। भारतीय सशस्त्र बलों को अब अपनी परिवहन जरूरतों के लिए 1960 की पीढ़ी के पुराने एवरो विमानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

    निजी क्षेत्र में पहला मेक इन एयरोस्पेस कार्यक्रम

    टाटा-एयरबस गठबंधन ने कहा था कि C295 विनिर्माण निजी क्षेत्र में पहला मेक इन इंडिया एयरोस्पेस कार्यक्रम है जिसमें एक कंप्लीट इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम का विकास शामिल है। उन्होंने कहा कि इसमें निर्माण से लेकर असेंबली, परीक्षण और योग्यता, विमान की डिलीवरी और रखरखाव भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सौदे के तहत 16 सी-295 विमान सितंबर 2023 तक और अगस्त 2025 के बीच उड़ान की स्थिति में दिए जाने हैं, जबकि बाकी बचे 40 विमान Vadodara Facility में बनाए जाएंगे।

    आयात पर निर्भरता होगी कम

    रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस परियोजना के तहत भारतीय निजी क्षेत्र के लिए टेक्नोलाजी इंटेन्सिव और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग (Highly Competitive Aviation Industry) में प्रवेश करने का एक सुनहरा अवसर मिलेगा। मंत्रालय के मुताबिक, इससे घरेलू विमानन निर्माण की वृद्धि होगी, जिसके कारण आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात में वृद्धि होगी।

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